Book Title: 47 Shaktiya Aur 47 Nay
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Pandit Todarmal Smarak Trust

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Page 24
________________ स्वच्छत्वशक्ति में तो समीपवर्ती, दूरवर्ती, भूतकालीन, वर्तमान एवं भावी, सूक्ष्म और स्थूल सभी पदार्थ एकसाथ एक जैसे स्पष्ट झलक जाते हैं। - दर्पण में तो समीपवर्ती पदार्थ स्पष्ट और दूरवर्ती पदार्थ अस्पष्ट झलकते हैं; किन्तु आत्मा में तो समीपवर्ती-दूरवर्ती, स्थूल-सूक्ष्म, भूतकालीन एवं भावी सभी पदार्थ वर्तमानवत् ही स्पष्ट प्रतिभासित होते हैं। अतः यहाँ दर्पण के उदाहरण को मात्र पदार्थों के प्रतिबिम्बित होने तक ही सीमित रखना चाहिए। भगवान आत्मा में पदार्थों के झलकने का जो अद्भुत स्वच्छ स्वभाव है, उसी का नाम स्वच्छत्वशक्ति है। दृशिशक्ति, ज्ञानशक्ति, सर्वदर्शित्वशक्ति और सर्वज्ञत्वशक्ति के साथसाथ यह स्वच्छत्वशक्ति और आगे की आनेवाली प्रकाशशक्ति - ये सभी शक्तियाँ आत्मा के देखने-जाननेरूप स्वभाव से ही संबंधित हैं। दृशिशक्ति और ज्ञानशक्ति में सामान्यरूप देखने-जानने की बात कही गई है तो सर्वदर्शित्व और सर्वज्ञत्वशक्ति में सभी को देखने-जानने की बात कही गई है। सभी पदार्थों के देखने-जाननेरूप कार्य में आत्मा को सभी ज्ञेयों के पास जाना पड़े-ऐसा नहीं है; क्योंकि इस भगवान आत्मा के स्वच्छ स्वभाव में समस्त लोकालोक सहजभाव से दिखाई देता है, जानने में आ जाता है। आत्मा के इस सहज निर्मल स्वभाव का नाम ही स्वच्छत्वशक्ति है। इस भगवान आत्मा के ज्ञानस्वभाव में मात्र परपदार्थ ही नहीं झलकते; अपने आत्मा का अनुभव भी होता है। अपना आत्मा अनुभव में आयेऐसा भी आत्मा का स्वभाव ही है। __ आत्मा के इस स्वभाव का नाम ही प्रकाशशक्ति है। प्रकाशशक्ति की चर्चा विस्तार से यथास्थान की जायेगी। इसप्रकार हम देखते हैं कि उक्त छह शक्तियाँ आत्मा के देखनेजाननेरूप स्वभाव से ही संबंध रखती हैं। जिसप्रकार दर्पण में कितने ही पदार्थ क्यों न झलकें, उनका बोझा

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