Book Title: 47 Shaktiya Aur 47 Nay
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Pandit Todarmal Smarak Trust

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Page 41
________________ ३६ ४७ शक्तियाँ और ४७ नय २७-२८. अनंतधर्मत्वशक्ति और विरुद्धधर्मत्वशक्ति विलक्षणानंतस्वभावभावितैकभावलक्षणा अनंतधर्मत्वशक्तिः । तदतद्रूपमयत्वलक्षणा विरुद्धधर्मत्वशक्तिः । इस सत्ताईसवीं अनंतधर्मत्वशक्ति का स्वरूप आत्मख्याति में इसप्रकार स्पष्ट किया गया है - परस्पर भिन्न लक्षणोंवाले अनंत स्वभावों से भावित - ऐसा एक भाव है लक्षण जिसका - ऐसी अनंतधर्मत्वशक्ति है। साधारण-असाधारण-साधारणासाधारणधर्मत्वशक्ति से यह बात तो स्पष्ट हो गई थी कि भगवान आत्मा में साधारण, असाधारण और साधारण-असाधारण – ये तीनप्रकार के धर्म (गुण) पाये जाते हैं; पर यह स्पष्ट नहीं हो रहा था कि वे धर्म हैं कितने ? अर्थात् इस एक आत्मा में कितने धर्मों को धारण करने की शक्ति है ? अत: अनंतधर्मत्वशक्ति में यह बताया जा रहा है कि इस भगवान आत्मा में अनंत धर्मों को धारण करने की शक्ति है। विभिन्न लक्षणों के धारक विभिन्न अनंतगुणों को धारण करने की शक्ति का नाम ही अनंतधर्मत्वशक्ति है ।। २७ ।। अनंतधर्मत्वशक्ति के निरूपण के उपरान्त अब विरुद्धधर्मत्वशक्ति का निरूपण करते हैं इस अट्ठाईसवीं विरुद्धधर्मत्वशक्ति का स्वरूप आत्मख्याति में इसप्रकार स्पष्ट किया गया है - तद्रूपमयता और अतद्रूपमयता जिसका लक्षण है, उस शक्ति का नाम विरुद्धधर्मत्वशक्ति है। अनंतधर्मत्वशक्ति में यह तो स्पष्ट हो गया था कि भिन्न-भिन्न लक्षणवाले अनंत धर्म आत्मा में रहते हैं; पर यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई थी कि क्या परस्पर विरुद्धस्वभाववाले धर्म भी एकसाथ एक आत्मा में रह सकते हैं। यह विरुद्धधर्मत्वशक्ति यह बताती है कि न केवल अनंत धर्म किन्तु परस्पर विरोधी प्रतीत होनेवाले अनंत धर्मयुगल भी आत्मा

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