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४७ शक्तियाँ और ४७ नय
सप्तभंगी संबंधी सात नय (३-५) अस्तित्व, नास्तित्व और अस्तित्व-नास्तित्व
अस्तित्वनयेनायोमयगुणकार्मुकान्तरालवर्तिसंहितावस्थलक्ष्योन्मुखविशिखवत् स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैरस्तित्ववत्॥३॥ नास्तित्वनयेनानयोमयागुणकार्मकान्तरालवयंसंहितावस्थालक्ष्योन्मुखप्राक्तनविशिखवत्परद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्नास्तित्ववत्॥४॥ अस्तित्वनास्तित्वनयेनायोमयानयोमयगुणकार्मुकान्तरालवर्त्यगुणकार्मुकान्तरालवर्तिसंहितावस्थासंहितावस्थलक्ष्योन्मुखालक्ष्योन्मुखप्राक्तनविशिखवत् क्रमतः स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैरस्तित्वनास्तित्ववत्॥५॥
मूलनयों की चर्चा में जिन द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिकनयों की चर्चा की गई थी, उन द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिकनयों से ये द्रव्यनय और पर्यायनय भिन्न हैं।
वहाँ तो सम्पूर्ण वस्तु को द्रव्य और पर्याय - इन दो अंशों में विभाजित कर बात कही गई थी, वस्तु के द्रव्यांश को ग्रहण करनेवाले नय को द्रव्यार्थिकनय और पर्यायांश को ग्रहण करनेवाले नय को पर्यायार्थिकनय कहा गया था; पर यहाँ तो वस्तु के अनन्तधर्मों में से एक 'द्रव्य' नामक धर्म को ग्रहण करनेवाले नय को द्रव्यनय और 'पर्याय' नामक धर्म को ग्रहण करनेवाले नय को पर्यायनय कहा गया है।।१-२॥
द्रव्यनय और पर्यायनय के बाद अस्तित्व-नास्तित्व संबंधी सप्तभंगी केआधारपर सात नय लिये गये हैं, जिनमें से आदिके तीन नय इसप्रकार हैं____ “वह आत्मद्रव्य अस्तित्वनय से लोहमय, डोरी और धनुष के मध्य में स्थित, संधानदशा में रहे हुए, लक्ष्योन्मुख बाण की भाँति स्वद्रव्यक्षेत्र-काल-भाव की अपेक्षा अस्तित्ववाला है; नास्तित्वनय से अलोहमय, डोरी और धनुष के मध्य में नहीं स्थित, संधान दशा में न रहे हुए, अलक्ष्योन्मुख उसी बाण की भाँति परद्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव की