Book Title: 47 Shaktiya Aur 47 Nay
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Pandit Todarmal Smarak Trust

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Page 49
________________ ४७ शक्तियाँ और ४७ नय भावशक्ति का कार्य है कि विवक्षित पर्याय स्वसमय पर हो ही और अभाव-शक्ति का कार्य है कि अविवक्षित पर्याय उस समय किसी भी स्थिति में न हो । ४४ अब प्रश्न उपस्थित होता है यदि विद्यमान पर्याय का अगले समय अभाव ही न हो तो फिर नई पर्याय कैसे होगी ? आचार्य कहते हैं कि आत्मा में भावाभाव नाम की एक शक्ति ऐसी भी है कि जिसके कारण विद्यमान पर्याय का अगले समय में नियम से अभाव होगा ही । इसीप्रकार यदि यह प्रश्न हो कि यदि अगले समय में जो पर्याय आनी थी, यदि वह पर्याय अगले समय नहीं आई तो क्या होगा ? आचार्य कहते हैं कि अभावभाव नाम की एक ऐसी शक्ति है कि जिसके कारण अगले समय में होनेवाली पर्याय अगले समय में गारंटी से होगी ही । जो पर्याय होनी है, वह न होकर कोई अन्य पर्याय हो जाये और जिस पर्याय का अभाव होना है, उसका अभाव न हो तो क्या होगा ? आत्मा में भावभाव और अभाव- अभाव नाम की ऐसी शक्तियाँ है कि जिनके कारण जो पर्याय होनी हो, वही होती है और जो नहीं होनी हो, वह नहीं होती । इसप्रकार उक्त छह शक्तियों के स्वरूप को सही रूप में समझ लेने से यह आशंका समाप्त हो जाती है कि कोई कार्य समय पर नहीं हुआ तो क्या होगा ? इन शक्तियों के नामों से ही इनका स्वरूप स्पष्ट हो रहा है। भाव शब्द का अर्थ होता है - होना । अतः जिस समय जो पर्याय होनी हो, उस समय उस पर्याय का नियमरूप से होना ही भावशक्ति का कार्य है । इसीप्रकार अभाव शब्द का अर्थ होता है - नहीं होना । अतः जिस समय जिस पर्याय का नहीं होना निश्चित हो; उस पर्याय का उस समय नहीं होना ही अभावशक्ति का कार्य है । इसीप्रकार भावाभाव अर्थात् भाव का अभाव। जो पर्याय अभी विद्यमान है, उसका अगले समय में निश्चितरूप से अभाव हो जाना ही भाव - अभावशक्ति है और अभावभाव अर्थात् अभाव का भाव होना ।

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