Book Title: Yantrapurvak Karmadi Vichar
Author(s): Jain Mahila Mandal
Publisher: Jain Mahila Mandal
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॥ ६२ मार्गणासु मोहनीयकर्मणो बन्धोदयसत्तास्थानानि तद्भगाश्च पदानि पदवृन्दानि च ज्ञेयानि ॥
(षष्ठकर्मग्रन्थान्तर्वर्ती)
भंगा; २१
[२२८]
बंधनेआश्री
उदयमार्गणासु बंधस्थानानि १०
उदयस्थ नानि ९ उदय चोवीशी तझंगा स्थान
सत्तास्थानानि १५ ९८३ पदानि|
४० | |६९४७ १/नरकगति ३२२।२१।१७
५१०१९४८1७६. अष्टक २४ | १९२ १९२१५३६/६२८।२७१२६।२४।२२।२१। २ तिर्यंचगति |४२२१२१११७१३॥ १४६१०।९।८।७।६५। चोवीशी ३२ ७६८ २४४/५८५६६२८॥२७॥२६॥२४॥२२॥२१॥ ३ मनुष्यगति १०२२।२१।१७।१३।९।५।२१/९ १०।९।८।७६५।४।२।१चोवीशी ४० ९८३ २८८६९४७/१५२८।२७।२६।२४।२३।२२।२१।१३।१२।११ ४।३।२।१
भांगा २३-१२/ ९९५ २९०६९७१| ५।४।३।२।१।। ४ देवगति | ३२२।२१।१७॥
५१०।१८।७।६। षोडशक २४ | ३८४ १९२३०७२/ ६२८२७॥२६॥२४॥२२॥२१॥ ५/एकेद्रिय २२२।२१।
४ १०।९८।।
अष्टक ८ ६४/६८५४४३२८।२७१२५। द्वीद्रिय २२२।२१।
१०४ १०।९८।
अष्टक ८ ६४६८५४३२८॥२॥२६॥ .७त्रीद्रिय
१०४१०।९।८। अष्टक ८
३२८॥२७॥२६॥ ८ चतुरिंद्रिय | २२२२१॥
१०४ १०।९।८।।
अटक ८ ६४६८५४४/३२८२७॥२८॥ ९पद्रिय १०२२१२१११७१६९५ २१९१०।९।८।७६५४॥२१ चोवीशी ४० ९८३ २८८६९४७/१५२८२७॥२६॥२४।२३।२२।२१।१३।१२।११] ४।३।२।
भांगा २३.१२ ९९५ २९०६९७१] ५।४।३।२।१। १. पृथ्वीकाय २२२॥२॥ १०४ १०।९।८।।
अष्टक८
६४ ६८ ५४४ ३२८१२७२६। ११ अपाय २२२१२॥
१०४ १०।९८।। अष्टक
३२८॥२७॥२६॥ १२ तेजस्काय
| ६|३१०।९।८।
अष्टक ४ ३२ ३६] २८८ ३२८१२२६ १३ वायुकाय
| ६३ १०।९।८।
अष्टक ४ ३२/३६ २८८३२८॥२॥२६॥ १४ वनस्पतिकाय | २२२१॥
10४ १०।९।८।।
अटक |६४/६८५४४३२८१२७॥२६॥ १५ त्रसकाय १०२।२१।१७११३१९।५ २१९1०11८1५।४।२।१चावीशी ४०] ९८३२८८६९४०/१५२८२७॥२६॥२४॥२३१२२१२१।१३।१२।११ ४।३।२।१
मांगा २३.१२ ९९५२९०६९७१/ ५।४।३।२।१। १६ मनोयोगी १०२२।२१।१७।१३।९।५ २१९१०१९।८।७।६।५।४।२।१चोवीशी ४० ९८३२८८६९४७१५२८२७॥२६॥२४॥२३।२२।२१।१३।१२।११) ४।३।२।१
भांगा २३ । ९९५/२९०९६९७१ । ५४।३।२।१। । १७ वचनयोगी १०२।२१।१७।१३।९।५ २१/९ १०।९।८। ५।४।२।१चोषीशी ४०९८३ २८८६९४५१५२८॥२७॥२६॥२४॥२३।२२।२१।१३।१२।११] ४। २।
iगा २३.१२, ९९. २९०६९७१ ५।४।३।२।।
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