Book Title: Yantrapurvak Karmadi Vichar
Author(s): Jain Mahila Mandal
Publisher: Jain Mahila Mandal

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Page 302
________________ [२९२] | अपूर्वकरण अनिवृत्तिकरण सूक्ष्मसंपराय | उपशांतमोह क्षीणमोह अप्रमत्त सयोगी अयोगी केवळी केवळी ___ . . १ उ.१४२११३९/उ.१४२११३९/उ.१४२११३९ उ.१४२११३९क्ष. १०१।९९क्ष.८५१८५क्ष.८५/१३/१२ क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३क्ष. १०२ ० ००० ० ००००० १४१ उ.१४२११३९/उ.१४२११३९ उ.१४२११३९ उ.१४२।१३९क्ष. १०१।९९ क्ष.८५४८५क्ष.८५।१३।१२ क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३क्ष. १०२ ० . ० . . ० ० . . ० । उ. १४१ उ.१४२।। ३९ उ.१४२।१३९ उ.१४२११३९ उ.१४२।१३९क्ष. १०१।९९क्ष.८५।८५क्ष.८५।१३।१२/ क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३क्ष.. १०२ उ.,१४१ . उ.१४२।१३९ उ.१४२।१३९ उ.१४२।१३९/९.१४२११३९क्ष. १.१॥९९क्ष.८५।८५० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ .१३८1१०३क्ष. १०२ 13. १४१ उ.१४२११३९/उ.१४२।१३९ उ.१४२।१३९ उ.१४२११३९क्ष. १०१।९९.८५४८५० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ .क्ष.१३८।१०३क्ष. १०२ उ. १४१ .१४२११३९/उ.१४२४१३९ऊ.१४२११३९/उ.१४२११३९क्ष. १०१।९९/२.८५१८५/० क्ष.1४५११३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३क्ष. १०२ । उ. १४१ उ.१४२११३९ उ.१४२११३९० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३ उ. १४१ उ.१४२११३९ उ.१४२११३९० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ .१३८।१०३ उ. १४१ । .१४२।१३९ उ.१४२११३९० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३ ऊ. १४१ उ.१४२११३९३.१४२।१३९० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ .१३८:१०३ ऊ. १४१ उ.१४२।१३९ उ.१४२।१३९० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३ उ. १४१.उ.१४२।१३९ उ.१४२।१३९० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३ उ. १४१ उ.१४२।१३९३.१४२४१३९ऊ.१४२११३९० क्ष.१४५/१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३क्ष. १०२ ऊ. १४१ उ.१४२११३९ उ.1४२११३९ उ.१४२।१३९ उ.१४२।१३९क्ष. १०१।९९० क्ष.१४५।१३८क्ष १८ क्ष.१३८११०३/क्ष. १०२ उ १४१ . उ.१४२।१३९ उ.१४२११३९.१४२११३९ उ.१४२११३९क्ष. १०१।९९० क्ष.१४५।१३८क्ष. १३८ क्ष.१३८।१०३क्ष. १०२ .

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