Book Title: Yantrapurvak Karmadi Vichar
Author(s): Jain Mahila Mandal
Publisher: Jain Mahila Mandal
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1५७ सास्वादनस
म्यक्त्व ५८ मिथ्याद्रष्टि ५९ संज्ञी
| २१ ४ ३९८
चोवीशी ४ । ९६) ३.७६८/१/२८॥ १०१९/८
६ ४१०९।८६५/४।२। चोवीशी ८ | १९२) ६८१६३२/ ३२८१२७०२६। १०२२।२१।१७। ३।९।२१ ९ १।
चोवीशी ४० | १८३ २८८६९४७१५२८॥२४॥२६॥२४॥२३।१२।२१।१३।१२। ४।३२।१
१०१९/८/
भांगा २३.१२ ९९५ २९८६९७१ ११।५।४।३।२।१।। | २२२२२१॥
४१०१९/
८ ६५/४/२ अष्टक ८ । ६४.६८५४४ ३२८१२७२६।। १०२२१२१/१७/१३।९।५।२
चविशी ४०/९८३/ २८८६९४५१५२८१२७१२६।२४।२३।२२।२१।१३।१२। |- ४/३२।।
भांगा २४-१२/ ९९० २९०६९७१ - ११॥५॥४३।२।१। ३/२२१२१।१७।
२५१०९।८।६। चोवीशी १६ | ३८४ १२८/३०७२/ ६२८।२७।२६।२४।२२।२१।
६. असंज्ञी ६१ आहारी
६२ अनाहारी
६२ मार्गणागतगुणस्थानेषु मोहनीयकर्मणोबंधोदयस्थानानि तद्भगाश्च पदानि पदवृन्दानि च लिख्यन्ते ॥
अधः - उदयस्थान उदय चोवीशी कुल उदयभंग | कुल उदयपद - कुल उदयपदवृंद
मार्गगा.
१नरकगति
[२३१]
तिर्यचगति
२४ अ.
1१९२ मिथ्यात्व २२ ६८।९।१०१।३।३।१ अष्टक ८८।२४।२४।
८ ६४ ।२४।२७।१०६८ ५६।१९२१२१६१८०
५४४ साखादन २१ - ४७८९ ।।२।१ अ. ४८।१६८ ३२७११६९ ३२ ५६।१२८१७२ मिश्र १७ ।। ७८९ १।२।१ अ. . ४८।१६।
८ ३२।१६९
५६।१२८७२ अविरत १७६ ८९ १।३।३।१ अ. ८८।२४।२४।
८६४ ६४६।२१।२४।९ ४८।१६८।१९२१७२४८०
५८५६ मिथ्यात्व
६७८९।१०१1३।३।१चोवीशी८ चो. २४/७२।७२।२४ १९२ ७।२४।२७।१० ६८ १६८१५७६२६४८१२४० १६३२ सा-वादन २१ । ४८९१।२। चो.
९६७।१६९
१६८१३८४/२१६ ..७८९२ .
चो ४- २४॥४८॥२४ ९६ ७१६९ ३२ १६८।३८४।२१६ अविरत १७ ७ ८९ १।३।३।१ चो. |८ २४।७२।७२।२४ १९२ ६।२१।२४।९ १४४।५०४।५७६।२१६ १४४० देशविरति १३ । २५।६।७८ १।३३।१ चो. | ८ २४।७२।७२।२४ १९२ ५।१८।२१।८ | ५२ १२०॥४३२।५०४।१९२ १२४८ १० २१९
४०चो. ९८३क २८८ख
६९४७ ग.
मिश्र
३मनुष्यगति
क. चारना बंधमां असंक्रमणकाळना चार उदय भांगा अहीं गणेला छे. तेमा संकमण काळना बार भांगा बीजा उभेरीए त्यारे उदयभांगा सर्व मळी ९९५ थाय. ख. मतांतरे बेना उदयनी एक चोवीशीना बे पह नोखीए त्यारे २९० पद थाय छे. ग. मतांतरे वेना उदयनी एक चोवीज्ञी नांखीए त्यारे ६९७१ थाय छे.
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