Book Title: Yantrapurvak Karmadi Vichar
Author(s): Jain Mahila Mandal
Publisher: Jain Mahila Mandal

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Page 272
________________ समुद्घात सस्थान lor कित मार्गणा ध्यान १६ जीवाजोनी कुल कोटी जीव- गुणस्थान - उपयो अवगाहना.. ८४००००० १९७६०००० स्थान १४ १४ अल्पाबहुत्व ३६ परिहारविशुद्धि ४ धर्मना ४ १ सम-११४०८००० १२०००००५०० धनुष ६ संख्यात गुणा२] ७ आतना ३ सहित ३७ सूक्ष्मसंपरायः १शुक्लध्या ४३- २६३ १,११४०००००.१२००००० ५०० धनुष १ १... ९ ७१ सर्वस्तोक ननो पहेलो पायो ३८ यथाख्यात ४शुक्लध्या , १ १४००००० १२०००००५०० धनुष १ १ ४ ११९ १ संख्यात गणा३) ३९ देश विरति ८ आत,४ ६ १,, - २ १८००००० ६५५०००० हजार योजन .१ १ ११६ - ६ असं० गुगा ६ नना गेंद्र १० धर्मना पहेला २ ५० अविरति ..८ .४५ ६६.३। २४८४०००००/१९७५०००० हजार. यो० अधिक १४.४ १३९, ६ अनतगुणा [२६२ ९ धमनो २००० १२५५०००० हजार योजन ६-३ १२ १३१०६ असं० गुणा २/ ४१ चक्षुदर्शन १४ छेल्ला ४६ बे विना ४२ अचक्षुदर्शन १४ ,,४६ ४३ अबधिदशेन १४४ ६ ६ ६३ २४८४००००० १९७५०००० हजार यो० अधिक १४ ६६.१ सम-१६२६०००००११६५०००० हजार योजन . २ १२ १५१०६ अनंतगणा ।। १५७६ सर्वस्तोक १] ९ १,११४००००० १२०००००/५०० धनुष. १ ०००००/१९७५०००० हजार योजन अ०१४ २ ७ २ १ अनंतगगा | .१ विशेषाधिका ६-४ ४४ केबलदर्शन २ १ केवळी ६ ॥ ४५ कृष्णलेश्या १२ शुक्ल-४ ६ विना ४६ नीललेल्या १२,४६ ४७ कागेतलेश्या १२, ४८ तेजोलेश्या १२, ४६ ४९ पद्मलेश्या १२.,,४६६ ५० शुक्ललेश्या १४-१५ WWWW AM ८४०००००१९७५००००हजार योजन अ०१४ २२८४०००००१९७५००००हजार योजन अ०१४ १८४६०००००१३८५००००हजार योजन -३ ३२२००००० ९१५०००० हजार योजन ९१५०००० हजार योजन १५१०१ १५१० अनंतगुणा १५१० १ असं० गुणा ३ १५१० १ असं० गुणा २ १ सर्वस्तोक ॥ १५/१०

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