Book Title: Yantrapurvak Karmadi Vichar
Author(s): Jain Mahila Mandal
Publisher: Jain Mahila Mandal

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Page 248
________________ ६२ अनाहारी क० मार्गणासु ४ देवगति ५ एकेंद्रिय ६ द्वीद्रिय ७ त्रीद्रिय ८ चतुरंद्रिय ९ पंचेंद्रिय ८।९।१० ३ १२ मिथ्यात्व २२ सास्वादन २१ ४ ७१८१९ अविरत १७ २ ६१७१८१९ १ क गति २|२९|३०| २ तिर्यचगति ६ २३।२५।२६।२८|२९|३०| ३ मनुष्यगति ८ २३।२५/२६|२८|२९|३०|३१|१| १० पृथ्वी काय ११ अप्काय १२ तेजस्काय नाम्नो बंधस्थानानि ८ ४/२५।२६।२९।३०| ५२३।२५।२६।२९|३०| ५२३।२५/२६|२९|३०| ५२३/२५/२६।२९|३०| ५२३।२५।२६।२९/३०| ८२३।२५।२६।२८|२९|३०|३१|१| ५२३।२५|२६|२९|३०| ५२३।२५|२६|२९|३०| ५२३।२५।२६।२९/३०| | १६ चो. ४ ४ १८ १।२।१ चो. |१।२1१ | १।३।३।१ ॥ ६२ मार्गणासु नामकर्मणो बंधोदय सत्तास्थानानि तद्भगाश्च ज्ञेयाः ॥ ( षष्ठकर्मग्रन्थान्तर्वर्ती ) उदयन्थानानि १२ तसंगः १३९४५ | ३८४ ९६ |८|१८|१० ९६ ७।१६/९ ३२ | २४|७२|७२।२४ | १९२ | ६|२१|२४|९ ६० २४।४८।२४ २४।४८।२४ १३८३२ ५ २१।२५।२७|२८|२९| १३९२६ ९२१।२४/२५।२६।२७|२८|२९|३०|३१| १३९३७ ११ २१।२४।२५।२६।२७/२८|२९|३०|३१| ९टा १२८ नहूंगा: ७७९१ | घटा १३९१७ ५२१।२४।२५।२६।२७। १३९१७ ५२१/२४/२५।२६।२७। ९३०८ ४२१।२४।२५|२६| ३०७२ ८६४ ७६८ | १४४|५०४|५७६।२१६ | १४४० | १९९।४३२।२४० १६८।३८४।२१६ ५ ३ ९२।८९।८टा ५०७० ५९२।८८८६८०१७८ २६५२११ ९३ ।९२।८९१८८।८६।८०।७९।७६ । ७५ । डाटा १३८५६ ६२१।२५।२७।२८।२९।३० १३९१७ ५२१।२४।२५।२६।२७ १३९१७ ६ २१।२६।२८|२९|३०|३१| १३९१७ ६ २१:२६ |२८|२९|३०|३१| १३९१७ ६ २१।२६।२८|२९|३०|३१| ६४ ४९३ ।९२।८९।८८ ४२ ५ ९२।८८।८६८०२७८ २२ ५ ९२।८८।८६१८०८७८। २२ ५ ९२।८८।८६८०१७८ २२ ५ ९२।८८।८६१८०१७८ १३९४५ ११ २०।२१।२५।२६।२७।२८।२९६|३०|३१| ७६८३ १२९३ । ९२१८९१८८१८६१८० ७९१७८१७६।७५ ९ शा सत्तास्थानानि १२ २४ ५ ९२।८८।८६८०७८टा २० ५९२।८८१८६८०८७८२ १२ ५९२।८८१८६८०८७८| क० बावीशना बंधे उदय स्थानक चार छे ७ ८ ९ १०. ए चार उदयव स्थानक मध्ये अनाहारीनी मार्गणाए त्रण उदयस्थानक संभवे. सातनुं उदयस्थानक अनंतानुबंधी रहित छे ने अनाहारीनी मार्गणा अनंतानुबंधी वीना सभवे नही तेथी सातनुं उदयस्थान काढी नांख्यूं छे अने त्रण उदय स्थानक यंत्रमां लख्यां छे. सतरना धंधे उदय स्थ नक यंत्रमां ४ लख्या छे. तेनी चोवीशी ८ लखी छे. ते मध्ये ४ चोवीशी क्षायिक आश्री संभवे छे. अने चार क्षयोपशम आश्री संभवेछे. अनाहारीनी मार्गणामां जीव वाटे वहेतां होय छे. तेथी तेमां क्षायिक अने क्षायोपशमिक ए बन्नेनो संभव छे. [२३८]

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