Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 218
________________ प्राकृतव्याकरणस्य मूलसूत्राणि ६३९ खचेर्वेअडः ॥ ४।८९ ॥ ग्रन्थो गण्ठः ।। ४।१२० ॥ पचेः सोल्ल-पउलौ ॥ ४।९० ॥ मन्थेघुसल-विरोलौ ॥ ४॥१२१ ॥ मुचेश्छड्डावहेड-मेल्लोस्सिक्क-रेअव-णिल्लञ्छ-धंसाडाः ह्लादेरवअच्छः ॥ ४१२२ ॥ ॥ ४९१ ॥ नेः सदो मज्जः ॥ ४॥१२३ ॥ दुःखे णिव्वलः ।। ४।९२ ॥ छिदेर्दुहाव-णिच्छल्ल-णिज्झोड-णिव्वर-णिल्लूर-लूराः वञ्चेर्वेहव-वेलव-जूरवोमच्छाः ॥ ४।९३ ॥ ॥ ४/१२४ ॥ रचेरुग्गहा-ऽवह-विडविड्डाः ॥ ४।९४ ॥ आङा ओअन्दोद्दालौ ॥ ४।१२५ ॥ समारचेरुवहत्थ-सारव-समार-केलायाः ॥ ४/९५ ॥ मृदो मल-मढ-परिहट्ट-खड्ड-चड्ड-मड्ड-पन्नाडाः सिचेः सिञ्च-सिम्पौ ॥ ४९६ ॥ ॥ ४।१२६ ॥ प्रच्छ: पुच्छः ॥ ४।९७ ॥ स्पन्देश्चलुचुलः ॥ ४/१२७ ॥ गर्जेर्बुक्कः ॥ ४।९८ ॥ निरः पदेवलः ॥ ४।१२८ ॥ वृषे ढिक्कः ।। ४।९९ ।। विसंवदेविअट्ट-विलोट्ट-फंसाः ॥ ४।१२९ ॥ राजेरग्घ-छज्ज-सह-रीर-रेहाः ॥ ४।१०० ॥ शदो झड-पक्खोडौ ॥ ४॥१३० ॥ मस्जेराउड्ड-णिउड्ड-बुड्ड-खुप्पाः ॥ ४।१०१ ॥ आक्रन्देीहरः ॥ ४॥१३१ ॥ पुञ्जेरारोल-वमालौ ॥ ४।१०२ ॥ खिदेर्जूर-विसूरौ ॥ ४|१३२ ॥ लस्जे हः ॥ ४।१०३ ॥ रुधेरुत्थरः ॥ ४।१३३ ॥ तिजेरोसुक्कः ॥ ४।१०४ ॥ निषेधेर्हक्कः ॥ ४॥१३४ ॥ मृजेरुग्घुस-लुञ्छ-पुञ्छ-पुंस-फुस-पुस-लुह-हुल-रोसाणाः क्रुधेर्जूरः ॥ ४।१३५ ॥ ॥ ४।१०५ ॥ जनो जा-जम्मौ ॥ ४१३६ ॥ भोर्वेमय-मुसुमूर-मूर-सूर-सूड-विर-पविरञ्ज-करञ्ज- तनेस्तड-तड्ड-तड्डव-विरल्लाः ॥ ४/१३७ ॥ नीरञ्जाः ॥ ४।१०६ ॥ तृपस्थिप्पः ॥ ४।१३८ ॥ अनुव्रजे: पडिअग्गः ॥ ४।१०७ ॥ उपसरल्लिअः ॥ ४।१३९ ॥ अर्जेविढवः ॥ ४।१०८ ॥ संतपेझङ्खः ॥ ४।१४० ॥ युजो जुञ्ज-जुज्ज-जुप्पाः ॥ ४।१०९ ॥ व्यापेरोअग्गः ॥ ४।१४१ ॥ भुजो भुज-जिम-जेम-कम्मा-ऽण्ह-समाण-चमढ-चड्डाः समापेः समाणः ॥ ४॥१४२ ॥ ॥ ४|११० ॥ क्षिपेर्गलस्था-ऽड्डक्ख-सोल्ल-पेल्ल-णोल्ल-छुह-हुल-परीवोपेन कम्मवः ॥ ४॥१११ ॥ घत्ताः ॥ ४।१४३ ॥ घटेर्गढः ॥ ४।११२ ॥ उत्क्षिपेर्गुलगुञ्छोत्थया-उल्लत्थोब्भुत्तोस्सिक-हक्खुवाः समो गलः ॥ ४।११३ ॥ ॥ ४/१४४ ॥ हासेन स्फुटेर्मुरः ।। ४।११४ ।। आक्षिपेीरवः ॥ ४।१४५ ॥ मण्डेश्चिञ्च-चिञ्चअ-चिञ्चिल्ल-रीड-टिविडिक्काः ॥ ४॥११५ ॥ स्वपे: कमवस-लिस-लोट्टाः ॥ ४१४६ ॥ तुडेस्तोड-तुट्ट-खुट्ट-खुडोक्खुडोल्लुक्क-णिलुक्क-लुक्कोल्लूराः वेपेरायम्बा-ऽऽयज्झौ ॥ ४.१४७ ॥ ॥ ४|११६ ॥ विलपेझख-वडवडौ ॥ ४॥१४८ ॥ घूर्णो घुल-घोल-घुम्म-पहल्लाः ॥ ४११७ ॥ लिपो लिम्पः ॥ ४।१४९ ॥ विवृतेढंसः ॥ ४।११८ ॥ गुप्येविर-णडौ ॥ ४॥१५० ॥ क्वथेरट्टः ॥ ४।११९ ॥ क्रपोऽवहो णिः ॥ ४।१५१ ।।

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