Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 357
________________ 2000 आदेशः भिस भुक्क सानुबन्यः भासि दीप्तौ भष भर्त्सने भुजंप पालना-ऽभ्यवहारयोः भुजंप पालना-ऽभ्यवहारयोः निरनुबन्धः| सूत्राङ्कः धात्वङ्कः गणः पत्राङ्कः | पदम् | अर्थः । भास् |२०३ आत्मने | [अक.] शोभना,प्रकाशना । [अक.] भूकना। [सक.] भोजन करना, पालन करना । [सक.] भोजन करना, पालन करना । परस्मै | [सक.] भ्रमण करना। परस्मै | [सक.] भ्रमण करना । आत्मने [अक.] गिरना, भूलना। भुज्ज भ्रमू चलने भुल्ल मग्ग भ्रमूच् अनवस्थाने भ्रंशूङ् अवासने मगु गतौ मदैच् हर्षे मृदश् क्षोदे मच्च [सक.] गमन करना। परस्मै | [अक.] गर्व करना । [सक.] मर्दन करना। परस्मै | [सक.] मर्दन करना । [सक.] मसलना, चूर्ण करना । परस्मै | [सक.] चाहना, वाञ्छना । मृदश् क्षोदे मृदश् क्षोदे मह महमह परस्मै | [अक.] गन्ध का पसरना । मुज्झ [अक.] मोह करना, घबराना । काक्षु काङ्क्षायाम् सं गतौ मुहौच वैचित्त्ये ज्ञांश् अवबोधने स्फुटि विकसने स्फुटत् विकसने भञ्जोंप् आमदने भञ्जोंप् आमर्दने परस्मै | [सक.] जानना । आत्मने | [अक.] खीलना । आत्मने [अक.] खीलना । आत्मने | [ सक.] भांगना, तोडना । आत्मने | [सक.] भांगना, तोडना । अकारादिवर्णक्रमेण चतुर्थपादान्तर्गता धात्वादेशाः

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