Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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प्राकृतव्याकरणान्तर्गतानां श्लोकानां वाक्यानां च अकारादिवर्णक्रमेण सूची
समणे भगवं महावीरे ४।२६५ सयं चेअ मुणसि करणिज्ज २१२०९ सयल-लोअ-अन्तेआरि ! भयव ! हुदवह ! ४।२६४ सरिहिं न सरेहिं न................. ४।४२२ सव्वस्स वि एस गई ३८५ सव्वाओ रिद्धीओ ३५८ सव्वाण वि पत्थिवाण एस मही ३८५ सहि ! एरिसि च्चिअ गई..... २।१९५ सा प(त)इ सहत्थदिन्नं..... ११३८ सामि-पसाउ स-लज्जु............ ४।४३० सायरु उप्परि तणु धरइ तलि........... ४३३४ साव-सलोणी गोरडी................. ४।४२० साहु वि लोउ तडप्फडइ.............. ४।३६६ सिक्खन्तु वोद्रहीओ २८० सिरि चडिआ खंति प्फलई............. ४।४४५ सिरि जर-खंडी लोअडी.............. ४।४२३ सीमाधरस्स वन्दे ३१३४ सीसि सेहरु खणु विणिम्मविदु............ ४।४४६ सुंदर-सव्वंगाउ विलासिणीओ पेच्छंताण ४।३४८ सुअ-लक्खणाणुसारेण २।१७४ सुपुरिस कंगुहे अणुहरहिं............... ४।३६७ सुमरिज्जइ तं वल्लहउं.............. ४।४२६ सुरही(हि)-जलेण कडुएल्लं २।१५५ सूसइरे गामचिक्खल्लो ३१४२ से तारिसे दुक्खसहे जिइंदिए ४।२८७ सोअइ अ णं रहुवई ३७० सोएवा पर वारिआ............... ४।४३८
सोसउ म सोसउ च्चिअ............ ४।३६५ हगे न एलिशाह कम्माह काली ४।२९९ हगे शक्कावदालतित्थ(स्त)णिवाशी धीवले ४।३०१ हत्थि मारणउ............ ४।४४३ हन्द पलोएसु इमं २।१८१ । हन्दि चलणे णओ सो ण माणिओ.............. २।१८० हयं नाणं कियाहीणं २।१०४ हरए महपुण्डरिए २।१२० हरस्स एसा गाई १।१५८ हरि नच्चाविउ पंगणइ.......... ४।४२० हरिणट्ठाणे हरिणङ्क !............... ३१८० हला सउन्तले ! ४।२६० हासाविओ जणो सामलीए ३।१५३ हिअइ खुडुक्कइ गोरडी............ ४।३९५ हिअडा ! जइ वेरिअ घणा............. ४।४३९ हिअडा ! पई एह बोल्लिअउ................. ४।४२२ हिअडा ! फुट्टि तड-त्ति............ ४।३५७ हिडिम्बाए घडुक्कय-शोकेण उवशमदि ४।२९९ हीमाणहे जीवन्त-वश्चा मे जणणी ४।२८२ हीमाणहे पलिस्सन्ता हगे एदेण निअविधिणो दुव्ववसिदेण ४।२८२ हीही भो ! संपन्ना मणोरधा पियवयस्सस्स ४।२८५ हुं गेण्ह अप्पणो च्चिअ २।१९७ हुं निल्लज्ज समोसर २।१९७ हुँ साहसु सब्भावं २।१९७ हेलठ्ठियसूरनिवारणाय............. ४।४४८ हेल्लि ! म झंखहि आलु ४।४२२ होइ वणे न होइ २।२०६
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