Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 343
________________ ७६४ ४७१ ४६७/ १८८० आदेशः सानुबन्धः निरनुबन्धः सूत्राङ्कः धात्वक गणः पत्राङ्कः | पदम् | अर्थः चच्छ तक्षी तनूकरणे ५७१ ४६९/ परस्मै | [सक.] छिलना, काटना । रुहं जन्मनि परस्मै | [सक.] आरुढ होना। चड्ड सदश् क्षोदे परस्मै [सक.] मर्दन करना। पिप्लंप संचूर्णने [सक.] पीसना। चड्ड भुजंप पालना-ऽभ्यवहारयोः १४८७ परस्मै | [सक.] भोजन करना । चमढ भुजंप पालना-ऽभ्यवहारयोः १४८७ [सक.] भोजन करना। चय शक्लंट् शक्ती १३०० ४४७/ परस्मै | [सक.] समर्थ होना। चल्ल चल कम्पने १७२-१०५५ | [सक.] चलना ।[अक.] कांपना । चव कथण वाक्यप्रबन्धे ४२७ परस्मै | [सक.] कहना। चिञ्च मिडु भूषायाम् ४५२ परस्मै | [सक.] विभूषित करना । चिञ्चअमडु भूषायाम् ४५२ परस्मै | [सक.] विभूषित करना । चिञ्चिल्ल मडु भूषायाम् ४५२/ परस्मै | [ सक.] विभूषित करना । चिट्ठ वं गतिनिवृत्ती ४३२ परस्मै | [अक.] बैठना । चिण चिंगट् चयने |१२९ ४८५-८८1 उभय | [सक.] इकट्ठा करना । चिम्म चिंगट् चयने १२९० उभय | [सक.] इकट्य करना । चिव्व चिंग्ट् चयने उभय | [सक.] इकट्य करना । चुक्क भ्रंशूङ् अवलंसने आत्मने | [ अक.] भ्रष्ट होना, वञ्चित होना । [ सक.] नष्ट करना । चुलुचुल स्पदुङ् किञ्चिच्चलने आत्मने | [सक.] कुछ हिलना । चोप्पड प्रक्षण म्लेच्छने ४६८ परस्मै | [सक.] स्निग्ध करना । छज्ज राजग् दीप्तौ राज् ८९३ ४४९] उभय | [अक.] शोभना, चमकना । १. पा० म० - मडुण् भूषायाम् (१६३३) । २. पा० म० - मडुण् भूषायाम् (१६३३) । ३. पा० म० - मडुण् भूषायाम् (१६३३)। २३१ अकारादिवर्णक्रमेण चतुर्थपादान्तर्गता धात्वादेशाः ४६५

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