Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 354
________________ नशौच् अदर्शने अकारादिवर्णक्रमेण चतुर्थपादान्तर्गता धात्वादेशाः परि+अस् आदेशः सानुबन्धः परिहा मदश् क्षोदे क्षिपीत् प्रेरणे प्रमू चलने पलाव पलोड असूच क्षेपणे गम्लं गतौ पल्लट्ट असूच क्षेपणे पल्हत्य रिचण् वियोजने च पल्हत्थ असूच क्षेपणे पविरज भजोंप आमदने ग्लं गात्रविनामे पव्वाल छदण् संवरणे प्लुङ् गती पहल्ल घूणि भ्रमणे भू सत्तायाम् पार शक्लृट् शक्ती दृशं प्रेक्षणे . पिज्ज पां पाने पिसुण कथण वाक्यप्रबन्धे पुंसमजौक् शुद्धौ 1111111111111111 निरनुबन्धः| सूत्राधात्वक गणः/पत्राङ्क | पदम् | अर्थः मद् |१२६ | [सक.] मर्दन करना। [सक.] फेंकना। भ्रम् परस्मै | [सक.] भ्रमण करना। नाशय [सक.] नष्ट करना, भागना। परि+अस् | २०० [सक.] फेंकना, पलटना। प्रति+आ+गम् १६६ परस्मै | [सक.] वापस आना। [सक.] पलटना, पलटाना। वि+रिन् । [सक.] बाहर निकालना। परि+अस् | [सक.] फेंकना, प्रवृत्ति करना। भञ्ज [सक.] भांगना। परस्मै | [अक.] सूखना। परस्मै | [सक.] आच्छादन करना । [सक.] खूब भिजाना। आत्मने [अक.] घूमना, कॉपना । [अक.] समर्थ होना, पहुंचना । [अक.] करने में समर्थ होना । [अक.] देखना, जानना। [सक.] पीना। [ सक.] कहना। परस्मै | [सक.] मार्जन करना, पोंछना । पास

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