Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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७७२
आदेशः दूम देक्ख
निरनुबन्धः| सूत्राङ्कः धात्वङ्कः गणः पत्राङ्कः | पदम् | अर्थः दावय
४३४/ आत्मने [सक.] परिताप करना । ४६६/ परस्मै | [सक.] देखना ।
धंसाड
[सक.] त्याग करना।
धा
धाड
नि+स
४४५
[सक.] दौडना, शुद्ध करना।
[सक.] धारण करना। परस्मै | [अक.] बाहर निकलना । उभय |[सक.] कंपाना, हटाना, नाश करना ।
[सक.] कंपाना। उभय | [सक.] कंपाना ।
धुण
धुव्व
नच्च
सानुबन्धः दूड्च् परितापे दृशं प्रेक्षणे मुच्छ्ती मोक्षणे धावूग् गति-शुद्धयोः डुधांग्क् धारणे च सं गतौ धूगट् कम्पने धूगट् कम्पने धूगद् कम्पने नृतैच् नर्तने नटण् भ्रंशे (अवस्यन्दने) णमं प्रहृत्वे नशौच अदर्शने नशौच अदर्शने दृशं प्रेक्षणे दृशं प्रेक्षणे मांङ्क् मान-शब्दयोः मांङ्क् मान-शब्दयोः ष्ट्यं गतिनिवृत्ती ग्रहीश् उपादाने
ܗ ܝ ܗ ܗ ܝ ܝ ܡ ܡ ܀ ܀ ܀ ܀ ܀ ܀ ܀ ܀ ܀ ܀ ܀ ܗ| IF
४७८
नट्ट
नट्
नव
नस्स
नश्
४८१)
परस्मै | [अक.] नृत्य करना ।
[अक.] नाचना । [ सक.] हिंसा करना । परस्मै | [सक.] प्रणाम करना। परस्मै | [अक.] पलायन करना, भागना ।
[सक.] नाश करना।
[ सक.] देखना। परस्मै | [सक.] देखना ।
नासव
नाशय
111111111
निअ
दृश्
निअच्छ
दृश्
४६६/
अकारादिवर्णक्रमेण चतुर्थपादान्तर्गता धात्वादेशाः
निम्मव
नि+मा
४३३/
निम्माण
नि+मा
आत्मने | [ सक.] रचना, करना ।
[सक.] रचना, करना। परस्मै | [अक.] बैठना ।
निरप्प
स्था
४३२
| निरुवार
ग्रह
४७२उभय | [सक.] ग्रहण करना ।
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