Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 325
________________ ७४६ अकारादिवर्णक्रमेण प्राकृतव्याकरणान्तर्गता देशीशब्दा: परिशिष्ट - ८ ॥ अकारादिवर्णक्रमेण प्राकृतव्याकरणान्तर्गता देशीशब्दाः ॥ [ अंकोल्ल ] पुं० अंकोठ वृक्ष, गुच्छ विशेष, नर्तक [१ २००] । [ अगया ] पुं० दैत्य, दानव [२।१७४] । अगय - अयक्क - अयगा दणुए [ दे० ११६] | [ अग्गल ] वि० अधिक [४।३४१ २] । [ अट्टमट्ट] पुं० निरर्थक, आलवाल, क्यारी, अशुभ संकल्प-विकल्प [२।१७४] । [ अ ] पुं० लोमपक्षी, कूप, के पास में पशुओ के पानी पीने के लिए बनाया हुआ गढा [१।२७१] । [ अत्ता ] स्त्री० माँ, सासू, फूफा, सखी [४|१२३] । माइ-पिउच्छा - सासू-सहीसु अत्ता [दे० १।५१] | [ अब्भडवंचिउ] अ० अनुगमन करके [४।३९५] | [ अम्मो ] अ० आश्चर्य सूचक अव्यय, माता का सम्बोधन [२।२०८] | [ अलाहि] अ० निवारण, बस [ २।१८९] । [ अल्ल] नपुं० दिनम् [२।१७४] | अल्लं दिअहम्मि [ दे० ११५ ] | [ अवरोप्पर ] वि० परस्पर [४।४०९] | [ अव्वो ] अ० सूचना, दुःख, सम्भाषण, अपराध, विस्मय, आनन्द, आदर, भय, खेद, विषाद, पश्चात्ताप [२।२०४] । [ आऊ ] स्त्री० पानी, नक्षत्र देव विशेष [२।१७४] । [ आसीसा ] स्त्री० आशीर्वाद [ २।१७४] । [ इहरा ] अ० अन्यथा, नहीं तो, अन्य प्रकार से [२।२१२] । [ उअ ] अ० देखो [२।२११] । [ उच्चाडिर ] वि० रोकनेवाला, अफसोस करनेवाला [ २।१९३] । [ उज्जल्ल ] वि० स्वेद सहित, पसीनावाला, मलिन, बलवान [२।१७४] । [ उप्पेहड ] वि० उद्भट, आडम्बरवाला [२।१७४] । उप्पेहड - उल्हसिया- उम्मच्छवियं च उब्भड [दे० १|११६] | [ उब्ध ] नपु० खडा हुआ, ऊर्ध्व [२|५९] | [ ऊसुर ] नपु० ताम्बूल, पान [२।१७४ ] । [ उव्वरिअ ] वि० अधिक-अवशिष्ट, अनीप्सित, निश्चित, ताप, अगणित [४ ३७९-२] । अहिअ - अवञ्छिअणिच्छिअ-ताव- अगणिएसु उव्वरिअं [दे० १।१३२] | [ऊ ] अ० गर्हा, आक्षेप, विस्मय, सूचना अर्थो का सूचक [२ १९९ ] । [ एक्सरिअं ] अ० शीघ्र सम्प्रति [ २।२१३ ] |

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