Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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प्राकृतव्याकरणान्तर्गतानां उदाहरणानामकारादिवर्णक्रमेण सूची
६९३
का ३३३ कासइ ११४३
किज्जदे ४।२७४ काअइ ४६ कासओ १४४३
किडी १।२५१ काइ ४६ कासवो ११४३,१।२३१
किणइ ४।५२ काई ४॥३६७ कासा ११२७
किणा ३।६९ काई न दूरे देक्खइ ४३६७ कासी ३१६२
किणो ३६८ काउ ३३३ कासु ३।३३,४।३५८
किणो धुवसि २।२१६ काउँओ १।१७८ काहं ३।१७०,४।२६५
कित्तइस्सं ३।१६९ काउं २१५,४।२१४ काहलो १२२१४,१।२५४
कित्तइहिमि ३।१६९ काऊण १।२७,२।१४६,३।१५७,४।२१४ | काहावणो २०७१
कित्ती २।३० काउणं ११२७ काहिं ३।६०
किध ४।४०१ काउआण १२७
काहिइ ११५,३१६६,४।२१४ किन्नउ ४।३२९ ।। काउआणं १२७ काहिमि ३।१७०
किमवि १४४१ ।। काए ३।३३,३।६०,३।६३ काही १५,३।१६२
किमेदं ४।२७९ काओ ३१६६ काहीअ ३।१६२,४।२१४
किय्यते ४।३१५ काच्च ४३२९ काहे ३६५
किर न खाइ न पिअइ ४।४१९ काठं ४।३२५ कि करेमि १२९
किरिआ २१०४ काण ३३३,३।६१ किं ४।३६७
किरितटं ४।३२५ काणेक्षितं करोति ४।६६
किं उल्लावेन्तीए उअ जूरन्तीए २।१९३ । | किलन्तं २।१०६ कामेइ ४।४४
किं एत्थभवं हिदएण चिन्तेदि ? ४।२६५ | किलम्मइ २।१०६ कायमणी १।१८० किं करेमि १२९
किलिकिञ्चइ ४।१६८ कायव्वं ४।२१४ किं किं ते पडिहाइ ३८०
किलिट्ठं २।१०६ कारावेइ ३१५३ किं कुलं तुह ३८०
किलित्त-कुसुमोवयारेसु १।१४५ कारिअं ३।१५२,३।१५३ (२) किं णेदं ४।२७९
किलिन्नं २।१०६ कारिज्जइ ३।१५२,३।१५३ किं ति १।४२ ।।
किलिनउ ४।३२९ ।। कारीअइ ३।१५२,३।१५३
किं पम्हुट्ठ म्हि अहं ३।१०५ किलेसो २।१०६ कारेइ ३१४९,३।१५३ किं पि ११४१ ।।
किवँ ४।४०१ कालओ १२६७
किं पि किं पि हितपके अत्यं चिन्तयमानी | किवणो ११२८ काला ३।३२,३१६५ ४॥३१०
किवा ११२८ कालायसं १।२६९ किंसुअं १।२९,१८६
किवाणं १।१२८ कालासं ११२६९ किई ११२८
किविणो १४४६ काली ३।३२ किच्चा १।१२८
किवो ११२८ कालो ११७७ किच्ची २।१२,२८९
किसरा १।१२८ कास ३१६२,३२६३ किच्छं १।१२८
किसलं १।२६९ कास धणं ३१६३ किज्जउं ४।३८५,४।३८९
किसलयं १।२६९ कासं ११२९ |किज्जदि ४।२७४
| किसा ११२७
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