Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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प्राकृतव्याकरणान्तर्गतानां श्लोकानां वाक्यानां च अकारादिवर्णक्रमेण सूची।
७४१
खीरोओ सेसस्स व निम्मोओ २।१८२
जलहरो खु धूमवडलो खु २।१९८ खेड्डयं कयमम्हेहिं निच्छयं........... ४।४२२
जहां होतउ आगदो ४।३५५ गंग गमेप्पिणु जो मुअइ............... ४।४४२
जहिं कप्पिज्जइ सरेण......... ४।३५७ गंपिणु वाणारसिहं नर............. ४।४४२
जहिं मरगय-कंतिए संवलिअं ४।३४९ गज्जन्ते खे मेहा ११८७,३।१४२
जाइँ वयणाइँ अम्हे ३।२६ गयउ सु केसरि पिअहु जलु............ ४।४२२
जाइज्जइ तहिं देसडइ................ ४।४१९ गय-घड भज्जिउ जंति ४।४३९
जाइविसुद्धेण पहू ! ३।३८ गामे वसामि नयरे न जामि ३११३५
जाउ म जंतउ पल्लवह.
........... ४।४२० गिरिहे सिलायलु तरुहे फलु....... ४।३४१
जाम न निवडइ कुंभ-यडि............. ४।४०६ गुणहिं न संपय कित्ति पर.... ४।३३५,४।३४७,४।४१८ जामहिं विसमी कज्ज-गई..
......... ४।४०६ गूढोअर - तामरसाणुसारिणी १६
जाला ते सहिअएहिं घेप्पन्ति ११२६९ गेण्हइ र कलमगोवी २।२१७
जिण्णे भोअणमत्तेओ १४१०२ चंचलु जीविउ ध्रुवु मरणु........... ४।४१८
जिब्भिदिउ नायगु वसिकरहु............. ४।४२७ चंपय-कुसुमहो मज्झि................ ४।४४४
जिवँ जिव वंकिम लोअणहं............ ४३४४,४।४०१ चउवीसं पि जिणवरा ३१३७
जिव तिवं तिक्खा लेवि......... ४।३९५ चलेहिं वलंतेहिं लोअणेहिं.. .......... ४।४२२
जिव सु-पुरिस तिव॑ घंघलई............. ४।४२२ चिंच व्व कूरपिक्का २।१२९
जीविउ कासु न वल्लहउं............. ४।३५८ चिंतामंदरमंथाणमथिए...... ३।१४२
जे छड्डेविणु रयणनिहि............ ४।४२२ चूडुल्लउ चुण्णीहोइसइ मुद्धि !......... ४।३९५,४।४३० जे महु दिण्णा दिअहडा............ ४।३३३ छुडु अग्घइ ववसाउ ४।४२२
जेण हं विद्धा.......... ३१०५ . जं चेअ मउलणं लोअणाणं २१८४
जेत्यु-वि तेत्यु-वि एत्यु जगि... .................. ४।४०५ जं दिट्ठउं सोमग्गहणु............... ४।३९६
जेप्पि असेसु कसाय-बलु............. ४।४४० जं मणु विच्चि न माइ ४।४२१
जेप्पि चएप्पिणु सयल धर.......... ४।४४१ जइ केवँइ पावीसु पिउ ४।३९८
जेवडु अंतरु रावण-रामहं.............. ४।४०७ जइ तहो तुट्टउ नेहडा............ ४।३५६,४।३९८ जो गुण गोवइ अप्पणा........... ४।३३८ जइ केवँइ पावीसु पिउ............. ४।३९६
जो पुणु मणि-जि खसफसिहूअउ............ ४।४२२ जइ न सु आवइ दूइ ! ........... ४।३६७
झल्लरिपउरे गामे इल्लपुलिंदाण.....। ११ जइ पुच्छह घर वड्डाइं........... ४।३६४
झुणि कन्नडइ पइट्ठ ४।४३३ जइ भग्गा पारक्कडा.............. ४।३७९,४।३९८,४।४१७ ढोल्ला ! एह परिहासडी......४।४२५ जइ रच्चसि जाइट्ठिअए............. ४।४२२
ढोल्ला ! मई तुहुं वारिआ........ ४।३३० जइ ससणेही तो मुइअ............ ४।३६७
ढोल्ला सामला धण....... ४।३३० जइ सो घडदि प्रयावदी............ ४।४०४
णं अय्यमिस्सेहिं पुढमं य्येव आणत्तं ४।२८३ जइ होज्ज वण्णणिज्जो ३।१७९
णं भवं मे अग्गदो चलदि ४।२८३ जउ पवसंतें न सहुं गय............. ४।४१९
णवर पिआई चिअ णिव्वडन्ति २।१८७ जम्मंतराइ सत्त वि चलणे ३।१०५
णवरि अ से रहुवइणा २।१८८
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