Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 318
________________ प्राकृतव्याकरणान्तर्गतानां श्लोकानां वाक्यानां च अकारादिवर्णक्रमेण सूची परिशिष्ट - ७ ।। प्राकृतव्याकरणान्तर्गतानां श्लोकानां वाक्यानां च अकारादिवर्णक्रमेण सूची ।। अंगहिं अंगु न मिलिउ........... ४।३३२ अब्भा लग्गा डुंगरेहि............ ४।४४५ अंगुलिउ जज्जरियाउ नहेण ४।३४८ अम्बणु लाइवि जे गया.......... ४।३७६ अंसु-जलें प्राइम्व गोरिअहे........... ४।४१४ अम्मडि ! पच्छायावडा............ ४।४२४ अइ ! सुप्पइ पंसुलि ! णीसहेहिं अंगेहिं पुणरुत्तं २।१७९ अम्महे एआए सुम्मिलाए सुपलिगढिदो भवं ४।२८४ अइतुंगत्तणु जं थणहं................. ४।३९० अम्मि ! पयोहर वज्जमा............. ४।३९५ अइ दिअर ! किं न पेच्छसि २।२०५ अम्मीए ! सत्थावत्येहि............... ४।३९६ अइदीहराई सुन्हे चिहुरे ३।४१ अम्मो ! भणामि भणिए ३।४१ अगलिअ-नेह-निवट्टाहं......... ४।३३२ अम्मो कह पारिज्जइ २२०८ अग्गिएं उण्हउं होइ जगु.......... ४।३४३ अम्हहं होतउ आगदो ४।३८० अङ्गे च्चिअ न पहुप्पइ । ४।६३ अम्हे थोवा रिउ बहुअ........... ४।३७६ अज्ज म्मि हासिआ मामि ! तेण ३।१०५ अय्यउत्त ! पय्याकुलीकदम्हि ४।२६६ अज्ज-वि नाहु महु-ज्जि................ ४।४२३ अय्य किल विय्याहले आगदे ४।२९२ अज्ज वि सा सवइ ते अच्छी १।३३ अरे मए समं मा करेसु उवहासं २।२०१ अणचिन्तिअममुणन्ती २।१९० अलाहि किं वाइएण लेहेण २।१८९ अणुकूलं वोत्तुं जे २।२१७ अले कुम्भिला ! कधेहि ४।३०२ अणुबद्धं तं चिअ कामिणीणं २।१८४ अवस न सुअहिं सुहच्छिअहिं ४।४२७ अत्ता एत्थ णुमज्जइ ४।१२३ अव्वो किमिणं किमिणं २।२०४ अत्थालोअण-तरला..... १७ अव्वो तह तेण कया अहयं जह कस्स साहेमि २२०४ अध ससरीरो भगवं मकरधओ एत्थ परिब्भमन्तो हुवेय्य ४।३२३ अव्वो दलन्ति हिअयं २।२०४ अनउ करंतहो पुरिसहो आवइ आवइ ४।४०० अव्वो दुक्करकारय ! २।२०४ अनउ करंतहो पुरुसहो विवइ आवइ ४।४०० अव्वो न जामि छित्तं २।२०४ अनउ करंतहो पुरिसहो संपइ आवइ ४।४०० अव्वो नासेन्ति दिहिं.................. २।२०४ अनन्तरकरणीयं दाणिं आणवेदु अय्यो ४।२७७ अव्वो सुपहायमिणं ................ २।२०४ अन्तेउरे रमिउमागओ राया ३।१३६ अव्वो हरन्ति हिअयं............. २।२०४ अनु जु तुच्छउं तहे धणहे....... ४।३५०, ४।३५४ असंभाविद-सक्कारं ४।२६० अन्ने ते दीहर लोअण............ ४।४१४ असहेज्ज देवासुरा १७९ अन्नो को वि सहावो २।१९५ अह णे हिअएण हसइ मारुअतणओ ३८७ अपुरवं नाडयं ४।२७० अह भग्गा अम्हहं तणा.......... ४।३८०,४।४२२ अप्पणिआ पाउसे उवगयम्मि ३१५७ अह मोहो परगुणलहुअयाइ ३८७ अप्पणिआ य विअड्डिखाणिआ ३५७ अहयं कयप्पणामो ३।१०५ अब्भडवंचिउ बे पयइं.............. ४।३९५ अहवइ न सु-वंसहं एह खोडि ४।४१९

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