Book Title: Vyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 298
________________ प्राकृतव्याकरणान्तर्गतानां उदाहरणानामकारादिवर्णक्रमेण सची ७१९ ब्रुवह सुहासिउ किं पि ४।३९१ भत्तओ ३१४४ ब्रोप्पि ४।३९१ भत्तारं ३।४५ ब्रोप्पिणु ४।३९१ भत्तारम्मि ३१४४ भंसइ ४।१७७ भत्तारविहिअं ३/४५ भइणी २।१२६ भत्तारस्स ३/४४ भइरवो १।१५१,११५२ भत्तारा ३१४४ (२),३१४५ भगदत्तशोणिदाह कुम्भे ४।२९९ भत्ताराउ ३।४४ (२) भगवं यदि मं वरं पयच्छसि ४।३२३ | भत्ताराओ ३१४४ (२) भगवती ४।३०७ भत्ताराण ३/४४ भग्गउं ४।३५४ भत्ताराणं ३।४४ भग्गउं देक्खिवि निअय-बलु ४।३५४ | भत्तारासुन्तो ३१४४ भग्गो २१७८ भत्ताराहि ३।४४ भज्जा २।२४ भत्ताराहिन्तो ३१४४ (२) भज्जिउ ४।४३९ भत्तारे ३।४४ (२),३१४५ भञ्जइ ४।१०६ भत्तारेण ३/४४,३४५ भडो १।१९५ भत्तारेसु ३।४४ भण सहि । निहुअउं तेवँ मई ४।४०१ | भत्तारेसुन्तो ३/४४ भणइ ४।२३९ भत्तारेहिं ३।४४ भणम ३६१५५ भत्तारेहिं ३।४५ भणमु ३।१५५ भत्तारेहिन्तो ३।४४ भणमो ३।१५५ भत्तारो ३।४५ भणाम ३१५५ भत्तिवन्तो २।१५९ भणामु, ३।१५५ भत्तुणा ३।४४ भणामो, ३१५५ भत्तुणो ३।४४ (४) भणिअ ४।३३० भत्तुम्मि ३।४४ भणिअं च णाए ३७० भत्तुस्स ३१४४ भणिज्जइ ४।२४९ भत्तू ३१४४ (२) भणिम ३।१५५ भत्तूउ ३१४४ भणिमु ३।१५५ भत्तूओ ३।४४ (२) भणिमो ३।१५५ भत्तूण ३।४४ भणेम ३१५५ भत्तूणं ३।४४ भणेमु ३।१५५ भत्तूसु ३।४४ भणेमो ३।१५५ भत्तूसुन्तो ३।४४ भण्णइ ४।२४९ भत्तूहिं ३।४४ भत्तउ ३।४४ | भत्तूहिन्तो ३।४४ (२) भई २८० भद्रं २८० भप्पो २५१ भमइ ४।१६१,४।२३९ भमडइ ४१६१ भमया २११६७ भमर ! म रुणझुणि रण्णडइ ४।३६८ भमररुअं जेण कमलवणं २।१८३ भमररुअं तेण कमलवणं २।१८३ भमरा ! एत्थु वि लिंबडइ ४।३८७ भमरु ४।३९७ भमरो १।२४४,११२५४ भमाडइ ३।१५१,४।१६१ भमाडेइ ३३१५१,४॥३० भमावइ ३१५१ भमावेइ ३१५१,४।३० भमिअ २।१४६ भमिरो २१४५ भम्मडइ ४।१६१ भयप्पई २।१३७ भयप्फई २।६९,२।१३७ भयवं ! कुसुमाउह ! ४।२६४ भयवं ! तित्थं पवत्तेह ४२६४ भयस्सई २१६९,२।१३७ भरइ ४७४ भरहो १।२१४ भलइ ४७४ भल्ला हुआ जु मारिआ ४।३५१ भल्लि ४।३३० भवँरु ४।३९७ भवइ ४६० भवओ १३७ भवदि ४।२६९ भवन्तो ११३७,२।१७४ | भवातिसो ४।३१७

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