Book Title: Vyavahar Sutram Part 05
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat
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व्यवहार
सूत्रम् नवम उद्देशकः
१४७३ (A)
राजकलितं न पिबति ॥ ३७७३ ॥
तत्र प्राणसंसक्तं कथयतिकिमिकुटे सिया पाणा, ते य उण्हाभिताविया। मोएण सद्धमेज, बहु निसिरे ते उ छाहिए॥ ३७७४ ॥
कृमिसङ्कलं कोष्ठम्-उदरं कृमिकोष्ठम्। कृमिकोष्ठे स्युः प्राणाः कृमिरूपाः ते चोष्णेनाभितापिताः सन्त: मोकेन कायिक्या सार्द्धमागच्छेयुः, ततस्तान् छायायां निसृजेत् ॥ ३७७४॥
बीजादिप्रतिपादनार्थमाहबीयं तु पोग्गला सुक्का, ससणिद्धा उ चिक्कणा । पडंति सिथिले देहे, खमणुण्हाभिताविया ॥ ३७७५ ॥ बीजं नाम शौक्राः पुद्गलाः। ते च द्विधा चिक्कणा अचिक्कणाश्च। तत्राऽचिक्कणा बीजग्रहणेन
गाथा ३७७०-३७७७ | मोकप्रतिमा
विधिः
|१४७३ (A)
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