Book Title: Vyavahar Sutram Part 05
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

View full book text
Previous | Next

Page 292
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . व्यवहार सूत्रम् नवम उद्देशकः १४७३ (A) राजकलितं न पिबति ॥ ३७७३ ॥ तत्र प्राणसंसक्तं कथयतिकिमिकुटे सिया पाणा, ते य उण्हाभिताविया। मोएण सद्धमेज, बहु निसिरे ते उ छाहिए॥ ३७७४ ॥ कृमिसङ्कलं कोष्ठम्-उदरं कृमिकोष्ठम्। कृमिकोष्ठे स्युः प्राणाः कृमिरूपाः ते चोष्णेनाभितापिताः सन्त: मोकेन कायिक्या सार्द्धमागच्छेयुः, ततस्तान् छायायां निसृजेत् ॥ ३७७४॥ बीजादिप्रतिपादनार्थमाहबीयं तु पोग्गला सुक्का, ससणिद्धा उ चिक्कणा । पडंति सिथिले देहे, खमणुण्हाभिताविया ॥ ३७७५ ॥ बीजं नाम शौक्राः पुद्गलाः। ते च द्विधा चिक्कणा अचिक्कणाश्च। तत्राऽचिक्कणा बीजग्रहणेन गाथा ३७७०-३७७७ | मोकप्रतिमा विधिः |१४७३ (A) For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315