Book Title: Vardhaman Padmasinh Shreshthi Charitam
Author(s): Amarsagarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 121
________________ Shah Alachana Kenda www.kobaturm.org Acharya Shri Kallassagersur Gyanmandir वर्धमान ॥११७॥ ACHHAKKRA लक्ष्मीरूपधरा नित्यं । गोत्रे वास्त्रपदि स्थिता ॥ मन्नक्तिकारिणां कुर्वे । साहाय्यं सर्वतो वरं ॥३॥ +चरित्रम्, योगिरूपं विधायैवं । साहाय्यं जवतोर्मया ॥ हिवारं विहितं वर्य । वचःपालनहेतवे ॥ १५ ॥ इत्युक्त्वा प्रतिमामेकां । स्फटिकोपलनिर्मितां ॥ निजां ताभ्यां च दत्वा पा-गंताने बभूव सा ॥१६॥ अथ प्रातरुजावेता-वेतस्या मंदिरस्य च ॥ जीणोंकारं च सद्भक्त्या । कारयामासतुरं ॥ १७॥ इति विहितसुकृत्यो चातरौ मन्यमानौ । निजमथ कृतकृत्यं तौ कुटुंबेन युक्तौ ॥ निजनगरमरं वे मोदमानौ समेतौ । धनवितरणतुष्टैश्चारणैः स्तूयमानौ ॥ १७ ॥ ____तमारा गोत्रमा लक्ष्मीना रूपने धारण करनारी हुं हमेशां त्रीजी पेढीए रहेली छु, तथा मारी भक्ति करनाराओने चोतरफथी उत्तम रीते हुं मदद करुं छु. ।। ७४ ।। अने तेथीज में (मारु) वचन पाळवा माटे चे वार योगीनु रूप धारण करीने तमारी सहायता उत्तम रीते करी छे. ।। ७५ ।। एम कहीवे स्फाटिकमणिनी बनावेली पोतानी एक प्रतिमा (मूर्ति) ते बन्ने भाइओने आपीने एकदम ते ( देवी कालिका) अंतर्ध्यान थइ गइ. ॥ ७६ ॥ त्यारपछी प्रातःकाले ते बन्ने भाइओ तुरत आ (कालिकादेवी )ना मंदिरनो जीर्णोद्धार उत्तम भक्तिवडे करवा लाग्या. ।। ७७ ।। त्यारवाद एवी रीते करेल के 18॥११॥ सत्कृत्य जेणे एवा, अने पोताने कृतकृत्य मानता एवा, धन आपवाथी प्रसन्न थयेला चारणोथी स्तुति कराता अने कुटुंबधी 2| युक्त हर्ष पामता थका ते बन्ने भाइओ तुरत पोताना नगरमा आव्या. ।। ७८ ॥ For Private And Persoesi Lise Onty

Loading...

Page Navigation
1 ... 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159