Book Title: Vardhaman Padmasinh Shreshthi Charitam
Author(s): Amarsagarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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चरित्रम.
वर्धमान-3 विधाय पूजां वरपादुकानां । तत्राईतां विंशतिसंख्यकानां ॥धन्यं निजात्यानममन्यतां तौ। संसारवा. 15/ धैरिव पारतं ॥३६॥ विक्षोक्य दुर्गमं वर्य-शैक्षारोहणमत्र तौ॥यात्रिकाणां च नव्यानां। सुवारोहण
हेतवे।३। साहिलक्षमुडाणां । पदश्रेणीर्व्ययेन च ॥ कारयामासतुर्मुक्ति-सौधनिःश्रेणिका श्व ॥३॥ युग्मं । एवं सुपंचतीर्थानां । मुख्यानां शुजनावतः॥यात्राश्च विहितास्ताच्यां। मोदैकफलदा ध्रुवं ।३॥ वैजारचंपाकाकंदी। पावाराजगृहादयः॥ वाराणसीदस्तिनाग-पुर चनृतयस्तथा ॥४०॥ तीर्थकरपदाभोजैः । पवित्रास्तीर्थभूमयः ॥ जावतो वंदितास्ताभ्यां । भूरिजव्यव्ययेन च ॥४१॥ युग्मं ॥
त्या वीस तीर्थकरोनां उनम पगलांओनी पूजा करीने ते बन्ने भाइओ पोताना आत्माने संसारसमुद्रवी पार पामेलो होय नहि |? नेम पन्य मानवा लाग्या. ।। ३६ ॥ अने ते वन्ने अहिं (आ) उत्तम पर्यंत उपर चडवू अति कठिन छ, एम जाणीने भव्य यात्रिकोने मुखथी चढवाने माटे अढी लाख मुद्राना खर्चथी मुक्तिना महेलनी नीमरणी हाय नहिं |? तेम पगथि बंधाव्या. ।। ७ ।। ३८ एवीरीने मुख्य एवां उत्तम पांच तीर्थोनी सारा भाव पीते चन्नेए खरेखर मोक्षना फलने | आपनारी यात्राओ करी. ॥३९॥ वैभारगिरि, चंपा, काकंदी, पावा, राजगृह आदिक तेवी रीने बाणारसी, हस्तिनापुर, इत्यादि तीर्थंकरोना चरणकमलोबडे पवित्र थयेली तीर्थभूमिओने ते बन्ने भाइओए घणा द्रव्यना खर्चथी भावपूर्वक नमस्कार कर्या.॥४०॥४१॥
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