Book Title: Vardhaman Padmasinh Shreshthi Charitam
Author(s): Amarsagarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 144
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वर्धमान ॥१४०॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तत्पट्टोदयपर्वते किल बजुर्मार्तडतुष्या जुवि । जव्यत्रात विबोधनैकपटुतासंगीतसत्कीर्तयः ॥ दुर्वा दिवजनागपंक्तिविजये पंचानना विश्रुताः । श्रीमंतः किल सुरयो वरतराः श्रीधर्ममूर्त्याह्वयाः ॥ ॥ ५१ ॥ शज्ञातिसमुडूत - लोढागोत्रसमुत्रौ ॥ कुरपाल सोनपाला - वागरापुरि वासिनौ ॥ ॥ ५२ ॥ बोधितौ यैर्जिनेशस्य । प्रासादं पुरि चक्रतुः ॥ श्रीमतो वर्धमानस्य । सुंदरं वरजावतः ॥ ५३ ॥ युग्मं ॥ ते श्री गुणनिधान सूरिश्वरजीनी पाटरूपी उदयाचल पर्वतपर खरेखर सूर्य सरखा, तथा पृथ्वीपर भव्यलोकोना समूहने प्रतिबोध करवानी कुशलताथी गवायेली छे उत्तम कीर्ति जेमनी एवा, तथा दुर्वादिओना समूहरूपी हाथी ओनी श्रेणीनो विजय करवाम सिंह सरखा, तथा प्रख्याति पामेला एवा, श्रीमान् धर्ममूर्ति नामना निवे अति श्रेष्ठ आचार्य थया. ॥ ५१ ॥ हवे ओशवाल ज्ञातिना लोढा गोत्रमा उत्पन्न थयेला तथा आगरा नगरना रहेवासी एवा करपाल अने सोनपाल नामना ( बने भाइओए) जे श्रीकल्याणसागरसूरि महाराजना ( उपदेशथी ) प्रतिबोध पामीने ते आगरा नगरमा उत्तम भावथी श्रीमान् महावीरप्रभूनुं सुंदर जिनमंदिर बंधाव्युं हतुं ।। ५२ ।। ५३ ।। For Private And Personal Use Only चरित्रम्. ॥१४०॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159