Book Title: Vardhaman Padmasinh Shreshthi Charitam
Author(s): Amarsagarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 152
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirm.org Acharya Shri Kailassagerul Gyanmandit वर्धमान ॥१४॥ वीणचरित्रम्, उत्तुगतोरणमनोहरवीतराग-प्रासादपंक्तिरचनारुचिरीकृतोर्वी॥नन्द्यान्नबीननगरी क्षितिसुन्दरीणां। वक्षःस्थले ललति सा हि ललन्तिकेव ॥३॥ सौराष्ट्रनाथः प्रणतिं विधत्ते । कजाधिपो यस्य जया. हिनेति ॥ अर्धासनं यजति मालवेशो। जीयाद्यशोजित् स्वकुलावतंप्तः ॥४॥ श्रीवीरपट्टकमसंगतोऽनु-नाग्याधिकः श्रीविजयेन्फुसूरिः ॥ श्रीमन्धरैः प्रस्तुतसाधुमार्ग-श्चक्रेश्वरी दत्तवरप्रसादः उचा उंचा, तथा मनोहर तोरणोवाळा वीतरागना प्रासादनी पंक्तिरचनाथी अति सुंदर छे पृथ्वी जेनी, तथा आ पृथ्वीरूपी प्रमदाना वक्षस्थलमा जे एक माळानी पेठे उल्लसायमान थइ रही छे, एवी नवीननगरी निश्चे (जामनगर) समृद्धि पामो.॥३॥जेने सौराष्ट्र देशनो राजा नमे छे, तथा कच्छ देशनो राजा जेना भयथी बीहे छे, तथा मालवानो राजा जेने अरधु आसन कहाडी आपे छे, एवा | पोताना कुळमां मुकुट समान, जाम श्री "जशाजी" जयवंता वर्तो? ।। ४ ।। श्री वीरमभुनी पाटे अनुक्रमे, अधिक भाग्यवंत, श्री विजयेंदुसूरि (आर्यरक्षितसूरि ) नामना आचार्य थया, जेनो साधुमार्ग श्रीमंधरस्वामिए वखाण्यो छे तथा चक्रेश्वरी देवीए जेमने वरदान आप्यु हतं. ॥ ५॥ ॥१४॥ ६ For Private And Personal Use Only

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