Book Title: Vardhaman Padmasinh Shreshthi Charitam
Author(s): Amarsagarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 151
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagerul Gyanmandit चरित्रम्, वर्धमान आ श्री वर्धमानशाहना जामनगरना जिनपासादमा जतां रंगमंडपना दरवाजा बहार, डाबा हाथ उपर, आरीआमा आ जिनमंदिर संबधि शिलालेख छे, तेनी नकल अहीं तेना अर्थ साथे प्रसंगोपात छापी प्रसिद्ध करी छे. ॥१४॥ ॥ जामश्रीलदराजराज्ये ॥ श्रीमत्पार्श्वजिनः प्रमोदकरणः कल्याणकन्दाम्बुदो। विघ्नव्याधिहरः सुरासुरनरैः संस्तूयमानक्रमः॥ साङ्को नविनां मनोरथतरुव्यूहे वसन्तोपमः । कारुण्यावसथः कलाधरमुखो निलहविः पातु वः ॥१॥ क्रीमां करोत्यविरतं कमला विलास-स्थानं विचार्य कमनीयमनन्तशोभम् ॥ श्रीनजयन्तनिकटे विकटाधिनाथे । हावारदेश अवनिप्रमदाललामे ॥२॥ हर्ष करनार, कल्याणरूपी वृक्षना मूळने वर्षाद समान, विघ्न तथा व्यापिने हरनार, सुर, असुर, तथा नरोधी पूजाएल छे चरण जेमना, सर्पना लंछनवाळा, भवि माणसोना मनोरथरूपी वृक्षना समूहने प्रफुल्लित करवामा वसंतऋतु समान, करुदाणाना स्थानकरूप, चंद्रसरखा मुखवाळा तथा श्याम कांतिवाळा श्रीमान् पार्श्वनाथ प्रभु तमाएं रक्षण करो? ॥१॥ श्री गिरनार पर्वतनी पासे, बळवान के राजा ज्या तथा पृथ्वीरूपी स्त्रीने ललाम (चांडला) सरखा हालार देशमा, लक्ष्मी पोतार्नु विलास 18॥१४॥ 181 करवानु अति मनोहर स्थान विचारीने हमेशा क्रीडा करे छे. ॥२॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159