Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Jaysundar
Publisher: Sanchor
View full book text
________________
2000000
जीवनालायणलीधरंतमोटानिदान मिघ्यादर्शनधान्यामा मायनाबिनकरणदार बनीअनंतमसारनावधारणहारा नराश किंजयश्रालायणयाणमायाणियाणमिलादंससानागामारकमयावियागंणतसंसारवणाण) मुराणातहवापाणधुवघर। अनरंकजुत्तावयरिवलियाजीया
अपमादीजंतु स्त्रविद मधुसकवह नवांधई अनमविश्खाध्यान Poहरणकाराउनुलायशवसागडियानयभवाप्रमाईलवयंनाउंसगावयंचणबंधोपचबद्दल Fiनिरिईया हेलगवन जीवनिंदाउमिनकरात्मामायिनेनिंदा निदाध्यायपश्चातापकर यापपश्चान्नाय विश्मीच
शनिधाराशायानिंदायोगशामावकिमणियाणयबाणुनावंडायला लावणंदिर, छविराग्यपामत अपर्वकरणिकरी गुगwियरिय क रणगुणश्रेणिपतिपन्नअगारमोदनीयक्षमस्याकरई ६. अमारणकराणासायडिवद्यकशागुणामपिडिlamया प्रामाणिधकामघाया देशगवन जीवगरणायामि करवा गुरुसाविश्यायागहोकशा अवरस्कार अायाणपानअवज्ञाकर अपुर गरहायागाजीवविक्षणायशंगरक्षाणयामपुरवारजणायशीपुरकावण्यसबे स्कारगतजावअपनानयागनिविनयशम्नयोगप्रवन। शनयोगपतिपन्ततघाती कर्मपर्याय भयकरई हिंसडायहिनाणियानयमावदियपवनायसवाडागण्डियनेयणप्राणगारा प्राणघायद्यावरवाala JAN देनगवन मामायकई सायमिकर। सीबमामाएकपरिवनिता। मावद्ययोगविरतिकर ॥४॥ देशगवचनवीमचुवीसनायकदेवन HTI)सामाणसातसादकिंजायसामाशासावाजागविरगंजयायचीसबरसातडीने 30
सुनिमांगन
नजीव
Some

Page Navigation
1 ... 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230