Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Jaysundar
Publisher: Sanchor
View full book text
________________
करखमिकरई। जावातीनिहाकरखमनात्यमूमनाम्ययात्राशबनविघइंगगायनुनियहफारई। निकायबीनवणकर्मनबाबई। अभ
हातमारमाइंदियनिगमलामणुनेससाइसरागादासनिक शेतणावस्यंधकामांनबंध जालबहनि ६ देशगदानवकुप्रियनिहऽजीव भिकर। जीवचकुपियनिय समापात्रा स रूपनऽ विषयगायन
प्रधबधतिधाराशाशचरिकंदियनियाrयाचरिकंदियनियादाणमणुनामणुनसुझावसुरागाहास नियहकरई। अननकर्मनबोध अनवनिर्धारिश न देतावनांगणयिनिहाईसीबसिकार) जीवघाणे शाग्रहंकणयशतावश्यंधकामनाaamराधादियनिगाहणतातयाधाnि यिनियहरे सझापामा गंधन विषई। रागदोसनुनियहकर निस्कारबीनवर्गकर्मनबोध अनइंसानों दियनिगाहगंमणुनामानसगांधसुरागाहामगाणयलयावश्यंचकर्मनाच चिनिनिर्धार व देशावनजीवनियिनियदमिवकरजीविषियनियहई। समापायाव्यनविषागायबुनिया बच्चविद्यारशावधाजिनिंदियनियानातयानिशिदियविमाणमणुनामानेसरसेसुरागाहामणि एकर) तिवायचीनकर्मनबांधई अनविकर्मबांधिकृतति राय देवगधनजीवस्यनिधियमियहाशमिबंकर। जीवस्यवान गाईजाणयशपांचकमनबंधनबचनियाकामिंदियातिप्रमाणामांतजीवाकामिदि चियनियहई। सूहामायास्पर्शनविषई। रागाध्यनिग्रहकार अनर नवकमेनबोध प्रबंधकर्मदयकर FOR यनिगाहणमन्नामानेसुकामेवरागादामणिमाहेजणशतवयंचकावबंधशवचनिशाना
PRINTRO-Heidlas

Page Navigation
1 ... 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230