Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Jaysundar
Publisher: Sanchor
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दित्तगवनजीवक्रोधीयवप्रेमिकरई। जीवनोपजीयक्षमाकर। अकोधवेदनीयकर्मनघुनबांधई। अनसबंधकर्मअथकरइ देसगवन नावानविर्क
इंसिकर कादविरणागतमा कादविएगवतिभाशय काढावणिचकमंगाधामबाण घरेशी माणदिन
जीवमीनविजयकरख मार्दवाणकरशेअन मानवदनीयकर्ममधs)) ||नईपर्वबहायकरईश देलगवानजीवमायाताईजीपद हासांतांमागविमएमवंशापयशामागावयमाछकामनबंधाबचनियरेशामा मायाधिकरण
जीवमायाजीपालाधकरई। अनमायविनायकर्मनबांध अनावश्यकरप देलगवनलालजीय TAMIायाविणामधुसाहाशमायावयाणि कमाइंधश पुचबचनिधारणाक्षणालासविरुणंग सुनीवमीकर। जीवलालजीपवतोयनाचकर जीवनानावदनीयकर्मनबोधई। अनरल बरक्यकारई। सातजाकिंगशालामविकणसातामंजण यशलासावयनिशंकामनबंधशमवबईचनिन्छ ।
या देशगवनजीवामदानयनामियादर्शनजी वर्गमिवंकर जीदपेमवेषमिध्यादमिडीयव ज्ञानदवनिधारित Pाद्यादाममियादमागविsardar कंठणारीएछादासमियादरिमणविजयनारदस जीपवर्षसमजई। उद्यमकर नयाअष्टपकारकर्मरूपिणीगंनि मृतिविधानसमईको तेदमालियानवीयन क्रिमि अहवासेनेदे एचरिताराहायारावाशिविरमकामासविविमोयगायतणमयामशाणुपुहिरवीमश्धि कम माहनीयकर्मकाधा पब पचिपकारज्ञानावराणीय कर्म अननविषकारेदर्शनावरणीयकर्म अनईयांचेषकारे अंतरायकमी रमाहरणईकमाघावविहंामिछानवधिदरसरणावरणिया पंचविस्तगयंगातिनिधिकाम

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