Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Jaysundar
Publisher: Sanchor

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Page 208
________________ दवा काय जीवविप्रकारि। एक सूक्ष्म बीजाबाद। एहमां हिंएक पर्याप्ता । एकपर्याप्ता कहिया जेबादरायजीयतेपां चेष दुविहायान जीवान] सुकुमादाय रात हा पत्र मन्त्रा । एवामण्ड दागा ज्यादा शाकशा पचहाते कारे कहिया । तेकहा। सुमोदक र मेघकुलश्यायवार २ हरतबाहरीका एक विधनातेदरहितरुणी। सूचनति हां सर्वलोक मोदिका स पकित्रिया सोदादरायेवान्मादा हरतेयुर्मे दिया दशम एगं विमनाशा । सुमातञ्च विया दिया सुकमा सह नई लकन एकदिसि चादर ॥ ॥ सामान्य काय श्राश्रनादिनहीनदी नई जन्म खितिः श्रश्र । श्रयकाय नाजीक राग मिला गादास यदा यर ।। संताई या । श्रपवमियादिया विहुमाईया [सएच) दिस दिनदिन कुईय 11 कायना जीवन उक्कष्टख सातसह मियाविया प्यार सिंगं संभागाय श्रवरम जघन्यव रामान्नदमाश वासाणुको अंतरे॥ १॥ यया काय ताणाजीच नई दिसंख्याकालष्टका येत सियानाद | त्र्यान तिच्या शतामुदशियां। एश अमरख कालखाका से श्रोता मुझं उन्हसि या काय जघन्य कायचितिर्म पकाना जीवनाय श्राप काय संबंधी गदह बेमावली काय मां दिवा विद्या (शंका येतं प्रसंशकालमुक्का संघांता मुलं जहनी विऊढं मिसका जीव काय जीवनगाव गंधरसस्पर्श संस्थान तलाबोलच सूपणासह वनस्पती नातेबोलाई। तर सप्ता सर्व संवाद नवादा बिहाग सदस्यासा धाविहारासा उत्कृष्ट वधान

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