Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Jaysundar
Publisher: Sanchor

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Page 195
________________ व्यंतराय तिमीमा निक इत्यादिक सेथई । जिमतेजोलेश्या इंतिम तेजोलेश्यान पल्या एमजघन्य विति। श्रनई बिसागरोपमतसंख्या बोली, सिगार ||amasam मंदर) जाइस विमायाांचा लग्न मंदनं । उच्को सोमावाराड निहिया। पलियम से प्रभु Banan EMBE HARIP मुसाग अधिक तेजोलेश्यानदससदश्रवरसमधन्य स्थिति। श्रनवसागरोपम। पल्योयमसंख्यातमुलाग अधिक हाइलागणारा दम दास सह स्माशंकर विहनिया हाइ) (दाजुद दीयानिर्जनम संखसा टीचिति ॥ ३॥ चनुनिश्वतेजोलेश्यातच समय श्रधिकार लेशानजघन्य विति। श्रनदमसागरोपममधिक गंध नकोसा जातक विश्वला बाका सामान समय महिया। अदानपम्रागादसममुना दियाइंग के चिखलुनिश्वयानेवपानजघन्यस्थित्ति ॥ ॥ 1 श्रीस) सागरोपम।। || महत्राधिकऋष्टश्चिति साधा जाप साविईरेखलु । नाक्का सा सान समय मशहिय | या कारनील शुक्र एवि धर्मल श्या जीववि राजहानका तिनी समझ नमन हिया ड जीच दुर्गनिकजई ॥४६ ते पार शु डुग्गदात ऊपा या कष्टानीला काऊ । तिनिविण्यावहमाल साधाय्यादितिर्दिदिजीवा विधिश्या बीवरात्रि लेश्माई 3 जीवसङ्गतिक महिला समईसघली लेगा पर भी कुती केदा सुक्का विनिविगयाधम्माल साचे। एयाहिंतिहिंदिजीवा सामाइन ई एल साहिंसवाहि। यदामसमये) जीवन पर जेव श्रागतिल विजयन चरम बेदलाई समई परमी मछलीले स्याऊंन मिरिया हिना नकरमविवदा पर लाई दिसा पलसादिसद्दा। चशर्म समये मियशियादि पलाम७ जापनी 10/2/10

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