Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Jaysundar
Publisher: Sanchor
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भंतोषयांमद अमरंपरागलासमाबई।
परतणवलासअपवाद उन्नाश संघमाएरस्सलामानोताRAumयाबानामिनाय रस्साशास्सायमाण
अणवांबन अणसिलाधा जीजीसखसेज्यायडिवजास्वलालस्पयडिवजा२३ ॥ 3जज शाकमाणछायादमाणापाबमारमाणसिलसमारणामुम्हामधेनवसंयधिशाविरSTE
रहतशवनाउयक्षियचरकाणजीवसिकरई। अधियहरहिहंडावपण करई। आवयरियहरहितोंड काकावाधारहिता उपाय
वहिपञ्चरवाणणामयादियघरकाशयलिमंजायज्ञनिस्वक्षिणाक्षणिकरकाal | बिनाजीवाशनयामा
गनाहारनई एघरमाणिजीवनि कार। अादारनपचरमाण । वहितारणयनसंकिलिस्मशानवाग्राहारपानातीविकिजगायादारपरका - जीवितव्यवांबाधापाखे । तयसंसारवांगाया योग दे। जीवाहाशवनालेशनपामा गणगंगाविया सणगरचाबिंदेशजवियासंसया जमावाकिंदिताजावाहारमंतरणनसकिलिस्म । अपहेतवनकवायपञ्चरखबजावसिकरई। कघायपरकागजीव वीतरागनाचकर वानरागलाव प्रतिपन्न जीवस
वाकसायएचाकागानासयाकसायाधरकाणचायरानाजायजधायरागसावाडिवात्रय ema रवडवनइंघिसमऊं॥३६ हेगवनयागयत्याव्यानि जीवसिकरई। मनवचनकायायोगनपञ्चवाणिअयोगधपएंकर॥ जविसमसहाराजागएचरवालासातजावणाशयरकाशाशगतंय

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