Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Jaysundar
Publisher: Sanchor

View full book text
Previous | Next

Page 152
________________ करई अनुबाकदयापरजीवाखामुणकारे अदमाशमलव चारित्रमाहिनीकर्मक्षयकरई ॥२८ हेनगवनधतिबंधर | नियाशःकारकरनलव यशश्रणुसयात्राझीवाणुकयणांमागविगयामागचरित्रामाणिकम्मरवाजाश्याप्रति हिताऊजीवमिकरई। पतिबंधरहित निम्मंगवणकर) जीवनिम्मंगपण एकमसंगकारचिन्ता दिवस रात्रि असामानसंगरह वक्ष्यायांतवायडिवक्ष्याणां निस्संगतंकणयानिस्संगपांजरिवगागागमालिदियायारामयशसभागा स्तियतिबंधरहितविहारकर॥३य हितगवन चित्रमयणामनववीध कर खात्रादिकरहितशयनाशयनमविई शाडिबाधयाविनिवरयाविधिनमायणासणासमा मायानाASNamविचितसयणासणासशायापणं चारित्रगुप्तिकर जीवचारित्रगुप्तकंत्र विवाहारा दतएकातिचारिबनविषारामतमोक्षमार्यसाधपतिपन्नलंब विचित्रगुतिंजणयशवरिक्षानयोsanaचिनाद सरदयशिनगंतशतास्मारकताध्यडिवानप्रति विनयवनेनारंजीवपायकर्मचारतधर्ममविषयकर्मक हंकामतिनिधी शक्षिणियहणागतातयाणियाणाकम्माप्रकरणायामाहर अनइंटर्वबधकर्मताणानिर्जराकर अनध्यापकर्मधका निवर्त निकायबीचवर्गत्तिर्मसारकोतारअतिक्रमव देसगधनमंसोगपचरकाणा सुनद्यागयमियशायापणियायवाचावरंतसंसारकंतारंधातीयशासालागयचरकारणा वसूकर) संसोगवत्यारव्यानइंजीव बालंबनचयकरडे) जाधनिरालंबनविमोकाची योगालाई अनापणइंजनान मातायामालागायचरकाणांशालंबगारवरमनिरावणस्मयकायतहियामागासवतिामणाणतास प्रायकारकर्मपिणी गाविलगवनजीवगुर्वादिकमीविनिवनवाई las SN चालनारसमकर LIA

Loading...

Page Navigation
1 ... 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230