Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publisher: Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
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उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन १० )
लडूण व आरियत्तणं, अहीण पंचेंदियया हु दुल्लहा । विगलिंदियया हु दीसई, समय गोयम मा पमायए || १७ || अहीण पंचेंद्रियन्तं पि से लहे, उत्तमधम्मसुई हु दूल्हा | कुतित्थिनिसेवए जणे, समयं गोयम मा पमायए ।। १८ ।। लधूण वि उत्तमं सुई, सद्दहना पुणरावि दुल्लहा । मिच्छत्तनि सेवए जणे, समयं गोयम मा पमायण । १९ ।। धम्मं बिहु सद्दहंतया, दुल्लहया काएण फासया । इह कामगुणेहि मुच्छिया, समयं गोयम मा पमाय ||२०|| परिजूरइ ते सरीरय, केसा पंडुरया हवंति ते ।
से सायबले य हायई, समय गोयम मा पमायए ||२१|| परिजूरइ ते सरीरय, केसा पंडुरया हवंति ।
से खुब म हायई, समय गोयम मा पमाय ||२२|| परिजूरइ ते सरीरय, केसा पंडुरया हवंति ते ।
से घाबले यहाय, समय गोयम मा पनाय ||२३|| परिजूरइ ते सरीरय, केसा पंडुरया हवंति ते । से जिन्भवले य हायई, समय गोयम मा पमायए ||२४|| परिजूरइ ते सरीरय, केसा पंडुरया हवंति । से फसवले य हायई, समय गोयम मा पमायए ||२५|| परिजूरई ते सरीरयं, केसा पंडुरया हवंति
से सव्वबले य हायई, समय गोयम मा पमायए ||२६|| अरई गंड विसूइया, आर्यका विविहा फुसति ते । बिहss विद्धसइ ते सरीरय, समय गोयम मा पमाय ||२७||