Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publisher: Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh

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Page 174
________________ उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन ३६) धम्मत्थिकाए तद्देसे तप्पएसे य आहिए । अहम्मे तस्स देसे य, तप्पए से य आहिए ॥ ५ ॥ आगासे तस्स देसे य, तप्पएसे य आहिए । अद्धासमए चेव, अरूवी दसहा भवे ॥ ६ ॥ धम्मम्मे य दो चेव, लोगमित्ता वियाहिया । लगालोगे य आगासे, समए समय खेत्तिए ॥ ७ ॥ 'धम्माधम्मागासा तिन्नि वि एए अणाइया । अपज्जवसिया चेब, सव्वद्धं तु वियाहिया ॥ ८ ॥ समय वि संतई पप्प, एवमेव वियाहिए । आएस पप्प साईए, सपज्जवसिए वि य ॥ ९ ॥ खधाय खधदेसा य, तप्पएसा तहेव य । परमाणुणा य बोधव्वा, रूविणो य बउव्विहा ।। १० ।। गत्तेण पुहुत्तेण, खधा य परमाणुणा । ।। १२ ।। लोएगदेसे लाए य, भइयव्वा ते उ खेत्तओ ॥ ११ ॥ सुमा सव्वलोगम्मि, लोग से य बायरा । इत्तो कालविभागं तु, तेसिं बुच्छं चउव्चि संत पप्प ते नाईया, अपज्जवसिया विय । ठि पडुच्च साईया, सपज्जवसिया विय ।। १३ ।। असंखकालमुकोस', एक्को समओ जहन्नयं । अजीवाण य रुवीण, ठिई एसा बियाहिया ।। १४ ।। अण तकालमुक्कोस, मेको समओ जहन्नयं । अजीवाण य रूवीण, अंतरेषं विग्राहियं ।। १५ ।। • १५९

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