Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publisher: Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh

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Page 175
________________ १६० उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन ३६ ) वण्णओ गंधओ चेव, रसओ फासओ तहा । स ठाणओ य विन्नेओ, परिणामा तेसि पंचहा ।। १६ ।। वणओ परिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया । किन्हा नीला य लोहिया, हलिद्दा सुक्किला तहा ॥ १७ ॥ गंधओं परिणया जे उ, दुविहा ते वियाहिया । सुभिगंधपरिणामा दुब्भिगंधा तहेब य ॥ १८ ॥ रसओ परिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया । तित्तकडुयकसाया, अबिला महुरा तहा ॥१९॥ फासओ परिणया जे उ, अट्ठहा ते पकित्तिया । कक्खडा मउया चेव. गुरुया लहुया तहा ॥ २० ॥ सीया उन्हा य निद्धा य, तहा लुक्खा य आहिया इय फासपरिणया एए, पुग्गला समुदाहिया ।। २१ ।। संठाणओ परिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया । परिमंडला य वट्टा य, तसा चउर समायया ।। २२ ।। वणओ जे भवे किण्हे, भइए से उगंधओ । 7 रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य ।। २३ ।। aणओ जे भवे नीले, भइए से उ गंधओ । रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य ।। २४ ।। वणओ जे भवे लोहिए उ. भईए से उ गंधओं । रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य ।। २५ ।। वण्णओ जे भवे पीए उ, भइए से उ गंधओ । रसओ फासओं चैव, भइए संठाणओ विय २६ ॥

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