Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publisher: Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
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उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन ३६) १६५ दुविहा उ पुढवीजीवा, सुहुमा बायरा तहा । पज्जत्तमपज्जत्ता, एवमेए दुहा पुणो ।। ७१ ॥ बायरा जे उ पज्जत्ता, दुविहा ते वियाहिया । सण्हा खरा य बोधव्वा, सण्हा सत्तविहा तहिं ।। ७२ ॥ किण्हा नोला य रुहिरा य, हलिद्दा सुकिला तहा। पंडुपणगमट्टिया, खरा छत्तीसई विहा ॥ ७३ ॥ पुढवी य सक्करा वालुया य, उबले सिला य लाणूसे । अय-तज्य-तंबसीसग, रुप्प सुवण्णे य वइरे य ॥ ७४ ॥ हरियाले हिंगुलए, मजासिला सासगंजण-पवाले । अभपउलब्भवालुय, बायरकाए मणिविहाणे ॥ ७५ ।। गोमेजए य रुयगे, अके फलिहे य लोहियक्खे य । मरगय-मसारगल्ले, भुयमायग-इंदनीले य ॥ ७६ ॥ चंदण-गेरुय-हंसगब्भ, पुलए सोग धिए य बोधव्वे । चंदप्पहवेरुलिए, जलकते सूरकते य ॥ ७७ ॥ . एए खरपुढवीए, भेया छत्तीसमाहिया । एगविहमनाणत्ता, सुहुमा तत्थ वियाहिया ॥ ७८ ॥ सुहुमा सव्वलोगम्मि, लेोगदेसे य बायरा । इत्तो कालविभाग तु. तेसिं वुच्छ चउव्विह ॥ ७९ ।। संतई पाप नाईया, अपजवसिया वि य । ठिई पडुच्च साईया, सपज्जवसियां वि य ॥ ८० ।। बावीससहस्साई, बासाणुक्कोसिया भवे । आउठिई पुढवीणं, अतोमुहुत्तं जहनिया ॥ ८१ ॥
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