Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publisher: Purushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh

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Page 121
________________ १०६ उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन २६) पढमा आवस्सिया नाम, बिइया य निसीहिया । आपुच्छणा य तइया, चउत्थी पडिपुच्छणा ॥ २ ॥ पंचमी छंदणा नाम, इच्छाकारो य छटुओ । सत्तमो मिच्छकारो उ, तहक्कारा य अट्ठमो ॥ ३ ॥ अब्भुट्ठाणं च नवमः, दसमी उपसंपदा । एसा दसंगा साहूण, सामायारी पवेइया ।। ४ ।। गमणे आवस्सिय कुजा, आणे कुज्जा निसीहियं । आपुच्छणा सयंकरणे, परकरणे पडिपुच्छणा ।। ५ ।। छदणा दव्वजाएण'; इच्छाका। य सारणे । मिच्छाकारा य निंदाए, तहकारी पडिस्सुए ॥ ६ ॥ अब्भुट्ठाण गुरुपूया, अच्छणे उवसंपदा । एवं दुपंचसंजुत्ता, सामायारी पवेइया ।। ७ ।। पुग्विल्लम्मि चउन्माए, आइञ्चम्मि समुट्ठिए । भंडयौं पडिलेहित्ता, वंदित्ता य गुरुं तओ ॥ ८ ॥ पुच्छिज्ज पंजलिउडा, किं कायव मए इह । इच्छ निओइउ भते, वेयॉवच्चे व सज्झाए ॥ ९ ॥ वेयावच्चे निउत्तेण, कायव्व अगिलायओ । सज्झाए वा निउत्तेण, सव्वदुक्खविमोक्खणे ।। १० ।। दिवसस्स चउरो भागे, भिक्खू कुज्जा वियक्खणो । तओ उत्तरगुणे कुज्छा, दिणभागेसु चस्सु वि ।। ११ ।। पढम पारिसि सज्झाय, बीय झाण झियायई । तइयाए भिक्खायरिय, पुणो चउत्थीइ सज्झायं ॥ १२ ।।

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