Book Title: Tirthankar Parshwanath
Author(s): Ashokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharti

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Page 19
________________ Xvi तीर्थंकर पार्श्वनाथ सिद्ध क्षेत्र चौरासी में ध्वजारोहण के साथ समारोह शुरू हुआ। इसके पश्चात् मथुरा जैन समाज की ओर से परम पूज्य उपाध्यायश्री को चातुर्मास करने हेतु अनुनय-विनय के साथ श्रीफल समर्पित किया गया। आज कामां, भरतपुर, पहाड़ी, बडौदामेव, दिल्ली, सहारनपुर, शाहदरा, आगरा, मुजफ्फरनगर व अलवर आदि अनेक स्थानों के व्यक्तियों ने श्रीफल समर्पित किया।" अखबार ने अपनी इस खबर में समारोह को पूरा छापा। मदन लाल बैनाड़ा के मुख से "दैनिक जागरण" अखबार ने लिखा "जो एक बार उपाध्यायश्री के दर्शन कर लेता है, वह बार-बार दर्शन करने आता है। आपकी मंद-मंद मुस्कान से सभी आकर्षित हो जाते हैं।" अमर उजाला ने 22 जुलाई के अंक में उपाध्यायश्री के चित्र सहित उनका प्रवचन प्रकाशित किया। "अमर उजाला" अखबार ने लिखा "जैन समाज के चातुर्मास समारोह में जैन संत ज्ञानसागर महाराज द्वारा जंबू स्वामी दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र में प्रवचन हुआ। प्रवचनों को सुनने दूरदराज से श्रद्धालु पहुँचे। सहजता-सरलता की प्रतिमूर्ति उपाध्यायश्री ने कहा कि आज का मानव अशांत है, बेचैन है और संकल्पों में उलझा हुआ है। इस खबर का शीर्षक था-'तनाव से बचने को बारह भावनाओं का चिंतन जरूरी। 'आज' ने भी 23 जुलाई के अंक में 'मानव संकल्प-विकल्पों की उलझन से बेचैन' शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया। आज अखबार ने उपाध्यायश्री के प्रवचन से लिखा "संसार के कार्य मुनीम बनकर करिये, मालिक बनकर नहीं। क्योंकि लाभ-हानि की स्थिति में मालिक पर फर्क पड़ता है, मुनीम पर नहीं।" इसी दिन अमर उजाला ने उपाध्यायश्री का प्रवचन "लक्ष्य के बिना चलने वालों को भटकना पड़ता है" शीर्षक से छापा। 26 जुलाई को दैनिक जागरण ने लिखा-"नव चेतना प्रदायक परम पूज्य उपाध्याय ज्ञान सागर महाराज ने कहा कि मानव पुरुषार्थ के बल पर ही अपने भाग्य को बदल सकता है। भाग्य के सहारे बैठे रहने वाले जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाते। आज

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