Book Title: Tarksangrah Vyakhya Nyay Bodhini Author(s): Publisher: View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न्या-बो. वारंनिरूपयति रूपरहितेति ॥रूपरहितत्वेसतिस्पर्शवत्वं वायोलक्षणं // सतिसप्तम्यानिशिश 2 र्थकतपारुपरहितत्व विशिष्ट स्पर्शवत्वंवायोलेसणं // विशेषणानुपारानेस्पर्शवत्तमात्रस्यलसण विपृथिव्यादित्रिकेअतिव्याप्तिः। तत्रापिस्पर्शवत्वस्यसत्तादतउक्तंरूपरहितैति // विशेष्यानुपादा नेआकाशादिपचकेचातिव्याप्तिरतउक्तंस्पशेति ॥अतिव्याप्तिमि॥ अलक्ष्येलसणगमन / / यथा // गोःशृंगित्वलक्षणमुक्तंचेदलत्यभूनगोभिन्नमहिष्यादावति व्याप्तिस्तत्रापि,गित्वस्य विद्यमानत्वात् // अन्याप्तिनमि // लक्ष्यैकदेशावृत्तित्वं // यथा ॥गोर्नीलस्वत्वंलक्षणमुक्त तलस्यतावच्छेदकाश्रयीभूतश्वेनगविनीलरूपाभावात् // 2 // असंभवोनामलस्यमानेकुत्रा पिलसणाभावः यथागोरेकशफवत्वंगोसामान्यस्य शिवत्वेनएक शफववाभावात् अति च्याप्त्यव्यास्यसंभवानां निष्कष्टलक्षणानि // अतिव्याप्तिस्तरस्यतावच्छेदकावच्छिन्नम राम तियोगिताकभेदसामानाधिकरण्यं ॥अव्याप्तिस्त // लक्ष्यतावच्छेदकसमानाधिकरणात्यता For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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