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ताओ उपनिषद भाग २
श्वेतकेतु जब भीतर पहुंचा, तो उसने अपनी मां से पूछा कि पिता कहां हैं? तो उसकी मां ने कहा कि वे ब्राह्मण होने चले गए हैं। वे अब तभी लौटेंगे, जब वे भी उसे सुन लें, जिसे तू सुन कर आ रहा है।
यह जो अश्राव्य है, यह उस दिन सुनाई पड़ता है, जब कान सारी ध्वनियां सुनना छोड़ देते हैं। यह जो अदृश्य है, उस दिन दिखाई पड़ता है, जब आंखों में सब दृश्य खो जाते हैं, सब सपने खो जाते हैं। सत्य मिलता है उसे, जिसके सब सपने खो जाते हैं, जिसकी आंखों में फिर कोई चित्र नहीं बनते, कोई स्वप्न नहीं उभरते, आंखें कोरी और खाली हो जाती हैं।
'उसे समझें, फिर भी वह अछूता रह जाता है।'
कितना ही समझें उसे, कितना ही पकड़ें उसे, कितनी ही मुट्ठी बांधे, सच तो यह है कि जितनी मुट्ठी बांधते हैं, उतना ही वह मुट्ठी के बाहर हो जाता है। हवा की तरह है। नहीं बांधते, तो हवा मुट्ठी में होती है; बांधते हैं, तो हवा मुट्ठी के बाहर हो जाती है।
समझ भी भीतर बुद्धि की मुट्ठी है। इसलिए समझदार आदमी तनाव से भरा रहता है; क्योंकि उसकी बुद्धि मुट्ठी बनी रहती है। जिनको हम समझदार कहते हैं, वे बहुत तने हुए लोग होते हैं। उनकी खोपड़ी के भीतर बुद्धि मुट्ठी . बनी रहती है। वे पकड़े रहते हैं सारी समझ को। और जितने जोर से पकड़ते हैं, उतनी ही बुद्धि कम होती चली जाती है। इसलिए पंडित और बुद्धिमान एक साथ आदमी नहीं हो पाता। बहुत मुश्किल है। क्योंकि पंडित का मतलब है बंधी हुई मुट्ठी और बुद्धिमान का मतलब है खुली हुई मुट्ठी। खुला हो हाथ, तो सारी दुनिया की हवा हाथ पर होती है। और हाथ बंद हो, तो हाथ के भीतर की हवा भी बाहर हो जाती है।
पकड़ें उसे, और छूट जाता है। कोई पकड़ उसे पकड़ नहीं पाती। क्योंकि पकड़ हमारी बहुत छोटी है, वह . बहुत बड़ा है। तो अगर हम पकड़ की जिद्द करेंगे, तो आखिर में पकड़ ही हमारी पकड़ में रह जाएगी। तो जो मुट्ठी बांधता है, मुट्ठी ही उसके हाथ में रह जाती है।
तो पंडित के पास खोपड़ी ही रह जाती है हाथ में, बंधी हुई। वह भी खुली हुई नहीं; सब द्वार-रंध्र बंद हो जाते हैं। ज्ञानी के हाथ में कुछ भी नहीं रह जाता; ज्ञानी खाली हाथ हो जाता है। और इसलिए सब कुछ उसके हाथ में आ जाता है।
यह सूत्र कहता है, 'समझें उसे, फिर भी वह अछूता रह जाता है।'
समझने की बात को थोड़े गहरे में उतरना चाहिए। समझने में हम करते क्या हैं? जब हम किसी चीज को समझते हैं, तो करते क्या हैं? क्या है समझ की प्रक्रिया?
___ अगर आपके सामने एक नया जानवर खड़ा कर दिया जाए और आपसे कहा जाए समझें, तो आप क्या करेंगे? पहाड़ों में नीलगाय होती है। वह गाय नहीं है। लेकिन गाय से मिलती-जुलती है। तो अगर पहाड़ की गाय आपके सामने खड़ी कर दी जाए, तो आप कहेंगे, गाय जैसी है। क्योंकि गाय को आप जानते हैं। और जो सामने खड़ा है जानवर, उसे आप जानते नहीं।
एक मेहमान मेरे घर आए हुए थे। उनके साथ एक छोटा बच्चा था। बगीचे में फूल थे। तो उस बच्चे की मां ने उसे मना कर दिया था, यहां फूल मत तोड़ना। उसकी मां तो मुझसे बातचीत में लग गई। तभी बगीचे का माली कुछ काम करता होगा, कुछ फूल काटता होगा, कुछ पत्ते निकालता होगा। उस लड़के ने दौड़ कर भीतर आकर कहा कि एक बहुत बड़ा लड़का फूल तोड़ रहा है!
लड़के से उसका परिचय है। इस आदमी को वह क्या कहे? बहुत बड़ा लड़का! यह बच्चा समझने की कोशिश कर रहा है कि जो फूल तोड़ रहा है, वह कौन है।
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