Book Title: Tao Upnishad Part 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 360
________________ ताओ उपनिषद भाग २ उपयोगिता का ध्यान अगर ठीक हो, तो प्रेम की कोई उपयोगिता है? कोई नहीं है उपयोगिता। क्या उपयोगिता है? आदमी के जीवन में प्रेम की क्या उपयोगिता है? थोड़ी अड़चन पैदा होती है; और तो कोई उपयोगिता नहीं है। थोड़ी परेशानी पैदा होती है। इसलिए जो बहुत होशियार हैं और उपयोगिता से जीते हैं, वे प्रेम वगैरह में कभी भी नहीं उतरते हैं। उस झंझट में वे नहीं पड़ते हैं। रुपए की उपयोगिता है; प्रेम की क्या उपयोगिता हो सकती है? एक मकान की उपयोगिता है; एक कविता में रहिएगा, सोइएगा, बैठिएगा, क्या करिएगा? एक दृष्टिकोण है जीवन का जिसमें हर चीज एक कमोडिटी है, एक वस्तु है, जिसका उपयोग करना है। पत्नी एक उपयोगिता है। पति एक उपयोगिता है। मां एक उपयोगिता है। पिता एक उपयोगिता है। बेटा एक उपयोगिता है। और ऐसा नहीं कि साधारण लोगों के साथ ऐसा हो; अगर लाओत्से हमारे शास्त्रों को देखे, तो बहुत हैरान हो जाए। हमारे शास्त्रों में लिखा है कि बेटा होना ही चाहिए पैदा; नहीं तो अंत्येष्ठि कौन करेगा? अब बेटे की उपयोगिता यह है कि जब बाप मरे, तो वह उनकी खोपड़ी तोड़े मरघट पर। इसके लिए वे पैदा किए जा रहे हैं। इसलिए जिनके अपने पैदा नहीं होते, वे गोद लेंगे; क्योंकि बेटा एक उपयोगिता है, मरने के बाद सिर को तोड़ेगा कौन? हद हो गई। यह चालाक लोगों की बुद्धि है। और फिर बेटे अगर जिंदा में ही खोपड़ी तोड़ दें, जरा जल्दी, तो इतने नाराज क्यों होते हैं? उनका काम ही यही है। कुछ जरा जल्दी कर जाते हैं, कुछ जरा देर से करते हैं। कोई वक्त पर करते हैं, कोई वक्त के पहले कर देते हैं। मगर यह उपयोगिता! किसी के जीवन का अपना कोई सहज मूल्य नहीं है। जीवन अपने आप में मूल्यवान नहीं है। किसी के लिए उपयोगी है। इजिप्त में ममीज हैं सम्राटों की, फेरोह की। और उनकी पत्नियां, उनके नौकर, सब उनके साथ दफन कर दिए जाते थे; क्योंकि उनकी उपयोगिता यही थी, जब तक सम्राट था। हम हजारों साल तक न मालूम लाखों स्त्रियों को सती करवाए; क्योंकि स्त्री की उपयोगिता पति के लिए थी, और तो उसका कोई मूल्य ही नहीं है। था मूल्य तो इतना था। जब पति ही नहीं रहा, तो अब उसका क्या मूल्य है? स्त्री का अपना कोई मूल्य ही नहीं है। एक उपयोगिता है वह। एक साधन था पति का। जब पति ही समाप्त हो गया, साधन का क्या करिएगा? उसको दफना दो, पति के साथ ही उसकी हत्या करवा दो। लेकिन अच्छे शब्दों में हम छिपा सकते हैं हत्या को। हम कहते हैं सती होना। और बड़े मजे की बात यह है कि जो पुरुष इस सब की चर्चा करते रहे, वे एक भी उनमें से सती या सता-जो भी हम कहें-वे कभी नहीं हुए। इतनी स्त्रियां मरती रहीं, एक पुरुष को न सूझा कि हम भी सती हो जाएं। उसका कारण है, पुरुष मालिक है। स्त्री की उपयोगिता पुरुष के लिए है। स्त्री साधन है। पुरुष हजार स्त्रियां खोज लेगा। जीवन को इस ढंग से जो देखने की आदत है, वह है पदार्थवाद, वह है मैटीरियलिज्म। प्रत्येक चीज का अपने में मूल्य है। और मूल्य किसी उपयोगिता के कारण नहीं है; होना ही मूल्यवान है। एक स्त्री है। वह अपनी वजह से मूल्यवान है। न तो किसी की मां होने के कारण, और न किसी की पत्नी होने के कारण, और न किसी की बेटी होने के कारण। अपनी वजह से मूल्यवान है। सहज मूल्यवान है। होना ही मूल्य है। कोई उपयोगिता नहीं है। और आपका जीवन भी होने की वजह से मूल्यवान है; किसी कारण से नहीं। आप क्या करेंगे, इसलिए ज्यादा उपयोगी नहीं हो जाएंगे। आपके कृत्यों का जोड़ आपका मूल्य नहीं है। आप क्या हैं, वह काफी है; आपने क्या किया, इससे कोई संबंध नहीं है। जीवन को ऐसे उपयोगितावाद से मुक्त करने की जो धारणा है, वही धर्म है। और जीवन को उपयोगिता से बांधने की जो दृष्टि है, वही जीवन को बाजार बनाने की है। वहां सब चीजें खरीदी और बेची जाती हैं। सब चीजें बिकती हैं, सब खरीदी जाती हैं। क्योंकि सब चीजों का उपयोग है, सब चीजों की कीमत है। 3501

Loading...

Page Navigation
1 ... 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412