________________
336
Sumati-Jnana हाथ खंडित हैं। पादपीठ पर लांछन अश्व अंकित है। जिन के वक्षस्थल पर श्रीवत्स, सिर के पीछे प्रभामण्डल, पावों में सिरविहीन चंवरधर आकृतियां, लघु खंडित जिन प्रतिमाएं, सिंहासन भाग पर यक्ष त्रिमुख और यक्षी प्रज्ञप्ति निरूपित हैं। वितान में दांयी एवं बांयी ओर तीन लड़ियों की पुष्पमाला लिये पुरूष आकृतियां और उनके शीर्ष पर गज आकृतियां निरूपित हैं। ४.शान्तिनाथ इस संग्रहालय में सोलहवें तीर्थकर शान्तिनाथ की दो प्रतिमाएं संग्रहीत हैं और दोनों ही पद्मासन मुद्रा में हैं। दोनों मूर्तियों के पादपीठ पर लांछन मृग (हिरण) का अंकन है। सामान्य विशेषताओं से युक्त पहली प्रतिमा (५१ x ४३ x १८ सेमी, पं. क्र. १३) में ज़िन का सिर भग्न है। दूसरी प्रतिमा (६३ x ४३ x १८ सेमी, पं. क्र. ५७) में पादपीठ पर यक्ष गरूड एवं यक्षी महामानसी का अंकन है। ५. मल्लिनाथ संग्रहालय में १६वें जिन मल्लिनाथ की पद्मासन मुद्रा में एक विशालकाय मूर्ति (१६७ X १०६x४३ सेमी, पं. क्र. १७२) सुरक्षित है। पादपीठ पर लांछन कलश अंकित है। जिन अलंकृत आसन पर विराजमान हैं। परिकर में त्रिछत्र, अभिषेक करते गज, उड़ते हुए मालाधर, पद्मासन व कायोत्सर्ग मुद्रा में लघु जिन, गजारूढ़ चंवरधर आकृतियां, सिंहासन पर यक्ष कुबेर और यक्षी अपराजिता का अंकन है (चित्र ५०.१) ६. पार्श्वनाथ तेइसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की इस संग्रहालय में तीन प्रतिमाएं सुरक्षित हैं जिनमें दो पद्मासन एवं एक कायोत्सर्ग मुद्रा में हैं। एक पद्मासनस्थ प्रतिमा (८२ x ५२ x ३४ सेमी, पं. क्र. ६) में जिन के सिर पर सप्त सर्पफण युक्त नागमौलि, परिकर में मालाधारी युगल, अभिषेक रत गज, चंवरधर और पादपीठ पर यक्ष-यक्षी धरण व पद्मावती अंकित हैं। दूसरी पद्मासन प्रतिमा (१६१ x १०६४ २८ सेमी, पं. क्र. १७३) में उपर्युक्त विशेषताओं के साथ-साथ त्रिछत्र एवं कायोत्सर्ग व पद्मासन मुद्रा में लघु जिन आकृतियां निरूपित हैं। कायोत्सर्ग प्रतिमा (६२ X ३० x २२ सेमी, पं. क्र. ७) में जिन का सिर खंडित है। पादपीठ पर लांछन सर्प की पूंछ ही द्रष्टव्य है। ७. महावीर संग्रहालय में चौबीसवें तीर्थंकर महावीर की पद्मासन मुद्रा में एक मूर्ति (१०३ x ६६ x ३४ सेमी, पं. क्र. ५१) सुरक्षित है। पादपीठ पर लांछन सिंह अंकित है। परिकर में त्रिछत्र, सादा प्रभामण्डल, अभिषेक करते गज, उड़ते हुए मालाधारी युगल, चंवरधर आकृतियां, परम्परागत सिंहासन पर यक्ष मातंग और यक्षी सिद्धायिनी का अंकन है। ८. लांछनविहीन तीर्थकर प्रतिमाएं संग्रहालय में तीर्थंकर की लांछन विहीन तीन प्रतिमाएं सुरक्षित हैं जिनमें एक पद्मासन और दो कायोत्सर्ग मुद्रा में हैं। पद्मासनस्थ प्रतिमा (७० x ५१X १६ सेमी, पं. क्र. २७) के परिकर में अभिषिक्त गज, उड्डीयमान मालाधर, चंवरधर आदि का अंकन है। एक कायोत्सर्ग प्रतिमा (६० x ४७ x २४ सेमी, पं. क्र. ४) के पाश्वों में एक-एक लघु जिन आकृति व उसके नीचे की ओर हाथ जोड़े उपासक आकृतियों का निरूपण है। दूसरी कायोत्सर्ग प्रतिमा (१०४ X ५० X १७ सेमी, पं. क्र. ३७) के परिकर में कायोत्सर्ग एवं पद्मासन मुद्रा में दो-दो लघु जिन आकृतियां उत्कीर्ण हैं। इसकी पादपीठ पर दांयी ओर माला लिये उपासक और बांये करबद्ध उपासक हैं। इनके अलावा तीर्थंकर प्रतिमा का एक परिकर खण्ड (४६ x ७२ x २७ सेमी, पं. क्र. ८८) और दो पादपीठ खण्ड (१०३ X ६६ x ३४ सेमी, पं. क्र. ५१) भी इस संग्रहालय
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org