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खन्दार (जिला- अशोकनगर, मध्य प्रदेश) स्थित प्राचीन जैन शेलकृत गुहा मंदिर एवं मूर्तियां
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स्थायी रूप से खड़ा कर दिया गया है। इस पर उत्कीर्ण अभिलेख का निचला कुछ भाग चबूतरे में छिप गया है। खुले में होने के कारण यह मानस्तम्भ बुरी तरह जर्जर हो चुका है।
विदित हो कि चंदेरी क्षेत्र लगभग ६वीं - १०वीं शती ई. से जैन धर्म एवं कला के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में स्थापित हो गया था और वर्तमान में भी यहां जैन उपासकों की अच्छी संख्या है। उपर्युक्त अध्ययन से स्पष्ट है कि चंदेरी के समीप ही लगभग ११वीं शती ई. में एक नवीन जैन तीर्थ क्षेत्र का निर्माण हुआ। यहां पर उत्कीर्ण जैन गुहा मंदिर संभवतः मंदिर के साथ-साथ मुनियों के निवासार्थ मठ का भी काम करते थे। यहां पर रखी हुई स्वतन्त्र प्रतिमाओं के मूल स्थान के विषय में स्पष्ट रूप से कुछ कह पाना कठिन है कि ये यहीं निर्मित हुईं अथवा अन्यत्र से लाकर यहां रखी गयीं। स्थानीय जन भी इस विषय में निश्चित सूचना नहीं दे पाते हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र का विकास एक स्थानीय जैन संस्था की देखरेख में चल रहा है।
संदर्भ एवं टिप्पणी
१. एनुअल रिपोर्ट ऑफ इंडियन इपिग्राफी (ए. रि. इं. इ.), १६७१–७२ ( बी : क्र. ६५) में इस गुहा में स्थित एक अभिलेख की तिथि संवत १२८१ बतायी गयी है किन्तु सर्वेक्षण के दौरान लेखक को सभी अभिलेखों की तिथि संवत् १२८३ ही मिली। २. एनुअल रिपोर्ट ऑफ इंडियन इपिग्राफी (ए. रि. इं. इ.). १६७१–७२ बी : क्र. ६५: विलिस, माइकेल डी., इंन्स्क्रिपशन्स ऑफ गोपक्षेत्र, लंदन, १६६४, पृ. १२ ।
३. ए. रि. इ. इ. १६७१–७२ बी क्र. ६२; विलिस, माइकेल डी., पूर्वोक्त, पृ. १२ ।
४. ए. रि. इं. इ., १६७१–७२ बी : क्र. ६३: विलिस, माइकेल डी., पूर्वोक्त, पृ. १२ ।
५. ए. रि. इं. इ., १६७१–७२ बी : क्र. ६०: विलिस, माइकेल डी., पूर्वोक्त, पृ. ११–१२ ।
६. गर्दे, एम. बी., ग्वालियर पुरातत्व रिपोर्ट, १६१४-१५ क्र. ४१; द्विवेदी, हरिहर निवास, ग्वालियर राज्य के अभिलेख, ग्वालियर,
१६४७, क्र. १००; ए. रि. इं. इ., १६७१–७२, बी : क्र. ५६ विलिस, माइकेल डी., पूर्वोक्त, पृ. १२ । ७. ए. रि. इं. इ., १६७१–७२ बी : क्र. ६१ एवं ६४: विलिस, माइकेल डी., पूर्वोक्त, पृ. ११-१२ ।
८. ए. रि. इं. इ., १६७१–७२, बी : क्र. ४४; विलिस माइकेल डी., पूर्वोक्त, पृ. ६.
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