Book Title: Sramana 2015 01
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 4
________________ सम्पादकीय श्री भूपेन्द्रनाथजी जैन का महाप्रयाण पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पूर्व मानद मन्त्री श्री भूपेन्द्रनाथजी जैन नहीं रहे। उनका दिनांक १९ जनवरी २०१५ को एक संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया। वह पार्श्वनाथ विद्यापीठ के विकास की क्रोशशिला थे। वह अपने आप में एक संस्था थे। स्वभाव से अत्यन्त मिलनसार श्री भूपेन्द्रनाथजी जैन एक सफल उद्योगपति तथा समाजसेवी थे। वस्तुतः पार्श्वनाथ विद्यापीठ की सफलता और यश: कीर्ति की कुंजी प्रारम्भ से ही संस्था के संस्थापक और श्री भूपेन्द्रनाथजी जैन के पिता लाला श्री हरजसराय जैन और स्वयं इनके हाथों में रही। श्री भूपेन्द्र नाथजी ने अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित एवं पोषित पार्श्वनाथ विद्यापीठ को अपनी निष्ठा और लगन के बल पर अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर ला खड़ा किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री भूपेन्द्रनाथजी का व्यक्तित्व अत्यन्त सादगी और विलक्षणता से भरा था। उनमें गहराई थी एक विद्वान की, चतुराई थी एक उद्यमी की, सादगी थी एक निःस्वार्थ समाजसेवी की, तथा शालीनता और संस्कार थे एक धर्मनिष्ठ, उत्साही और कर्तव्यपरायण व्यक्ति के। परिस्थितियों से समझौता करने की अपेक्षा वे सत्य के निकट अडिग भाव से खड़े रहने में विश्वास करते थे। असाम्प्रदायिक दृष्टिकोण रखनेवाले श्री भूपेन्द्रनाथजी में मानवसेवा कूट-कूट कर भरी थी। अपनी इसी प्रवृत्ति के कारण आप देश की कई संस्थाओं में सम्मानित पदों पर थे। आप तन, मन, धन से संस्था के उत्तरोत्तर विकास हेतु सदा प्रयत्नशील रहे। आपके के नेतृत्व में पार्श्वनाथ विद्यापीठ का चहुंओर विकास हुआ। आज शैक्षिक जगत् और शोध के क्षेत्र में पार्श्वनाथ विद्यापीठ की जो असाम्प्रदायिक छवि है, उसके मूल में श्री भूपेन्द्रनाथजी की ही प्रेरणा है। श्री भूपेन्द्रनाथजी का व्यक्तित्व इन्द्रधनुषी था। उनके व्यक्तित्व के सात

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