Book Title: Sramana 2005 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 226
________________ हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार उनके कहने पर मैं माता-पिता की आज्ञा से भाई के साथ कुञ्जरावर्त नगर में गया। गाहा: तहियं च चित्तभाणू मं दटुं सुख हरिसिओ भणइ। सुंदरमायरियं ते जमागओ अम्ह पाहुणओ ।।८९।। छाया : तदा च चित्रभानू मां दृष्ट्वा सुष्ठु हर्षितो भणति। सुंदरमाचरितं ते यदागतः अस्मांक प्राघूर्णकः ।।८९|| अर्थ :- व्यारे मने जोईने चित्रभानु खूबज हर्षित थयो अने कहयुं के तमे अमारा महेमान रूपे आव्या ते सारु कर्यु। हिन्दी अनुवाद : - उस समय मुझे देखकर चित्रभानु बहुत हर्षित हुए और अच्छी तरह मेरा आदर-सत्कार करके कहा - आज आप हमारे मेहमान रूप में यहां आये, यह बहुत अच्छा किया। गाहा : नियय-पिउत्तिं सव्वं कहिउं कय-भोयणाइ-वावारो। पत्ताए रयणीए पासुत्तो पवर-सयणीए ।।९०।। छाया : निजक-प्रवृत्तिं सर्वं कथयित्वा कृत-भोजनादि-व्यापारः। प्राप्तायां रजन्यां प्रसुप्तः प्रवर-शयने ।।१०।। अर्थ :- पोताना बधी प्रवृत्तिने सारी रीते कहीने करेला भेजनादिना व्यापरवाळो रात्री प्राप्त थये छते श्रेष्ठ शयनमां हुं सूई गयो! . हिन्दी अनुवाद :- अपनी सभी प्रवृत्ति बताकर भोजनादि क्रिया के पश्चात् रात्रि होने पर श्रेष्ठ शय्या में मैं सो गया। गाहा : तत्थ य पभाय-समए लवमाणे तंबचूल-निउरंबे । दिट्ठो अदिट्ठ-पुव्वो एसो सुमिणो मए तइया।।९१।। छाया :- विचित्र स्वप्न दर्शन तत्र च प्रभात - समये लपमाने ताम्रचूड-निकुरम्बे । दृष्टोऽदृष्ट-पूर्व एषः स्वप्नो 'मया तदा ।।९१।। अर्थ :- अने त्यां प्रभात समये कुकडाना समुदायनो अवाज आवतो हतो त्यारे पूर्वमा क्यारे य नहीं जोयेनु स्वप्न त्यारे मारा वड़े जोवायु। 83 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280