Book Title: Sramana 2005 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 264
________________ गाहा : तीए सहीहिं भणियं समागया चित्तवेग-दूइत्ति । अह सा तुह नामक्खर-आयन्त्रण-लद्ध-बुद्धीया ।।२१०।। छाया: तस्याः सखीभिः भणितं समागता चित्रवेग-दूतेति । अथ सा तव नामाक्षराऽऽकर्णनं लब्ध-बुद्धिका ||२१०।। अर्थ :- तेणीनी सखीओवड़े “आ चित्रवेगनी दूति आवी छे” ए प्रमाणे कहेवायु के तेण तारा नामाक्षर सांभळता ज प्राप्त चैतन्यवाळी थई!" हिन्दी अनुवाद :- उनकी सखिओं ने इस प्रकार कहा “यह चित्रवेग की दूति आयी है' इतना सुनते ही कनकमाला चैतन्ययुक्त हो गई। गाहा : झत्ति निविठ्ठा तत्तो पासिय मं लज्जियाव मणयंति। ताहे समप्पिओ से तंबोलो सहरिसं गहिओ ।। २११।। छाया: झटिति निविष्टा ततो दृष्ट्वा मां लज्जितेव मनागिति । तदा समर्पितस्तस्यास्त ताम्बूलं सहर्षं गृहीतः ।।२११।। अर्थ :- अने जल्दीथी बेठी थई ठगई, त्यारपछी मने जोईने जराक लज्जा पामी तेणीने ताम्बूल अर्पण कर्यु अने तेणीए पण सहर्ष ग्रहण कर्यु! अने.. हिन्दी अनुवाद :- और शीघ्रता से बैठ गई। बाद में मुझे देखकर वह लज्जित हो गई तब मैंने उसे ताम्बूल अर्पित किया और उसने भी सहर्ष ग्रहण किया। गाहा : गहियत्थाए भणियं केणेसो पेसिओ म्ह तंबोलो? ।। मे भणियं तुह सुंदरि! मणोहरेणं पिययमेणं ।। २१२।। छाया : गृहीतया भणितं केनेवः प्रेषितो मां ताम्बूलम् ? | मया भणितं तव हे सुन्दरि! मनोहरेण प्रियतमेन ||२१२।। अर्थ :- ग्रहण करेला ताम्बूलवाळी तेणीए कहयु - “कोनावड़े आ ताम्बूल मने मोकलायु छे त्यारे मे कहयु - हे सुन्दरि! तारा मनोहर प्रियतमवड़े मोकलायु छ। हिन्दी अनुवाद :- ताम्बूल को ग्रहण करके उसने कहा - किसके द्वारा यह ताम्बूल भेजा गया है? तब मैंने कहा - हे सुन्दरी! तेरे सुन्दर प्रियतम ने भेजा है।" 121 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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