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छाया :
यद्यपि खलु सा निःस्नेहा तथापि मनः मम तस्या विरहे |
प्रज्वलित-ज्वलन-समुज्वल-ज्वालाऽऽश्लिष्टं इव प्रतिभाति।।२२२।। अर्थ :- जो के ते बाला साचे ज मारा विषे निःस्नेह होय तो पण मारू मन तेणीना विरहमा सळगती आगनी ज्वालाओनी अंदर आशिलष्ट करतु होय तेम लागे छे! हिन्दी अनुवाद :- यदि वह बाला निश्चित रूप से मुझसे नि:स्नेह हो तो भी मेरा दिल तो उसकी विरहाग्नि की ज्वालाओं में जला करता है, ऐसा लगता है।
गाहा :
नयणेहिं पुलइया सा ताई चिय दहउ एस पिय-विरहो ।
हियएण किमवरद्धं जेण तयं निद्दयं दहइ ? ।। २२३।। छाया :
नयनाभ्यां पुलकिता सा तानि एव दहतुएषः प्रिय-विरहः ।
हृदयेन कि-मपराधं येन तकं निर्दयं दहति? ।।२२३।। अर्थ :- नयनो वड़े ते जोवाई छे तो मारा नयनो ने जतेभले बाळे। पण आ तो प्रियनो विरह निरपराधी एवा हृदयने पण निर्दय थईने बाळे छ। हिन्दी अनुवाद :- नयनों ने उसे देखा है तो मेरे नयनों को वह भले ही जला ले किन्तु यह प्रियतमा तो निरपराध मेरे हृदय को भी जलाती है। गाहा :
अन्नेण कयं अन्नो न भुंजए अलिएमेरिसं वयणं । सा दिट्ठा नयणेहिं जाओ हिययस्स संतावो ।। २२४।।
छाया:
"अन्येन कृतं अन्यो न भुनक्ति" अलिकमिदृशं वचनम् ।
सा दृष्टा नयनाभ्याम् जातो हृदयस्य संतापः ||२२४।। अर्थ :- “अन्य घडे करायेल अन्य भोगवतो नथी" आवाप्रकारनी जे लोकोक्ति छे ते असत्य छ। केमके ते बाला नयनवड़े जोवाई अने संताप हृदयमां थयो! हिन्दी अनुवाद :- “दूसरे द्वारा किए गये कर्म का दूसरा भोक्ता नहीं बनता" इस प्रकार की जो लोकोक्ति है वह असत्य है, क्योंकि उस बाला को नयनों ने देखा और संताप हृदय को हुआ। गाहा :
रोवंतु नाम तं जणमपेच्छमाणाणि दव-नयणाणि । तं हियय ! किं विमूरसि साहीणे चिंतियव्वम्मि? ।। २२५।।
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