Book Title: Sramana 2005 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 279
________________ लगभग २०,०००/- का प्रकाशित साहित्य भेंट देते हैं तथा भविष्य में हाने वाले सभी प्रकाशन भी उन्हें पांच वर्षों तक मुफ्त भेंट दिये जाते हैं। हम श्रमण विद्या से सम्बन्धित उच्चकोटि के साहित्य (पुस्तक, मोनोग्राफ आदि) का प्रकाशन आपके लिए करते हैं। आपके या आपके निकटतम व्यक्ति की स्मृति में भी हम ग्रन्थ प्रकाशन करते हैं। - सुधी पाठकों से निवेदन है कि वे श्रमण एवं पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा प्रकाशित साहित्य के ग्राहक बनकर जैन साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपना अमूल्य सहयोग दें। लेखकों से निवेदन है कि वे उच्चस्तरीय जैन शोध-निबन्ध श्रमण में प्रकाशनार्थ भेजें। लेख हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी में हो सकते हैं। निवेदक डॉ श्रीप्रकाश पाण्डेय डा. सागरमल जैन, सचिव सम्पादक श्री इन्द्रभूति बरड़, संयुक्त सचिव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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