Book Title: Sramana 2005 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 241
________________ गाहा :- कनकमाला चित्रवेगनी प्रेमसभरता अणुराय-तंति बद्धा दिट्ठी जण-सकुलेवि मग्गम्मि । सरिऊण सणिय-सणियं जत्थ पियं तत्थ अल्लियइ।।१३७।। छाया : अनुराग - तन्ति-बद्धा दृष्टिर्जन-संकुलेऽपि मार्गे । सत्वा शनैः शनैः यत्र प्रियं तत्राऽऽलियते ।।१३७।। अर्थ :- अनुरागना तांतणाथी बंधायेल दृष्टि लोकोथी भरचक मार्गमा पण सरकीने धीमे-धीमे ज्यां प्रिय छे त्यां ज चोटी जाय छे ! हिन्दी अनुवाद :- अनुराग के तंतुओं से बद्ध दृष्टि लोगों के भीड़वाले मार्ग में भी खिसक कर धीरे से जाँ प्रिय है, वहीं चली जाती थी। गाहा : सहि-जण-पच्छन्नेहिं पुणो पुणो तरल दिट्ठि-पाएहिं । भद्दवय- मेह-विज्जूए विलसियं तीए विजियंति ।। १३८।। छाया : सखि-जन-प्रच्छन्नैः पुनः पुनः तरल-दृष्टि पातैः। भाद्रपद-मेघ-विद्यूते विलसितं तया विजयंती ।।१३८।। अर्थ :- सखिजन पण बारंबार छुपीरीते चपल दृष्टिपातवड़े विंजती भादरवाना मेघनी विजळीनी जेम तेणीनुं विलसित जोती होती ! हिन्दी अनुवाद :- सखियां भी बारम्बार छुपकर चपल दृष्टि द्वारा भाद्र मास के मेघ के बिजली की तरह उनका विलास देखती थीं। गाहा : तो तीए तरल-पम्हल-दिट्ठी-बाणेहिं जज्जरे हियए । मज्झ पविट्ठा पंचवि कुसुम-सरा मयण-पविमुक्का।।१३९।। छाया : ततस्तया तरल-पक्ष्मल-दृष्टि-बाणैः जर्जरे हृदये। मम प्रविष्टा पञ्चापि कुसुम-शर-मदन-प्रविमुक्ताः ||१३९।। अर्थ :- त्यारपछी तेणीना चपळ पापणोवाळी दृष्टिना बाणोवड़े हृदय जर्जरीत थये छते पण मदनथी मुकायेला पांचे पण बाणो मारा हृदयमा प्रवेश्या। हिन्दी अनुवाद :- उसके बाद उनकी चंचल पलकों वाले नैनों के बाण द्वारा हृदय जर्जरित होने पर मदन के द्वारा छोड़े गए पांचों बाण मेरे हृदय में घुस गये। गाहा :- कनकमालानु गृहगमन एत्थंतरम्मि तीए सहि-निवहो निय-गिहेसु संचलिओ। सावि हु बाला चलिया पुणो पुणो मं पुलोएंती ।।१४०।। 98 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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